जमीन खो चुकी कांग्रेस
07-Oct-2020 12:00 AM 947

 

भारत की राजनीति में यह मान्यता है कि जिस पार्टी की सरकार उत्तरप्रदेश में रहती है, वही केंद्र में शासित होता है। इसकी वजह यह है कि उत्तरप्रदेश की राजनीति का प्रभाव कई राज्यों पर पड़ता है। इसी के मद्देनजर अब कांग्रेस ने उत्तरप्रदेश पर अपना ध्यान सबसे अधिक केंद्रित किया है। प्रियंका गांधी वहां फुल टाइम पार्टी को मजबूत करने में जुटी हुई हैं। वहीं अब राहुल गांधी भी उत्तरप्रदेश पर ध्यान दे रहे हैं। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि कांग्रेस अगर मेहनत कर ले तो वह उत्तरप्रदेश के रास्ते देश में अपनी खोई हुई जमीन पा सकती है।

देश में कांग्रेस की आज भी गहरी पैठ हैं। जानकारों का कहना है कि सही नेतृत्व की कमी के कारण कांग्रेस कमजोर होती जा रही है। जिस राज्य में कांग्रेस का नेतृत्व प्रभावशाली है वहां पार्टी मजबूत स्थिति में हैं। अब तो उप्र कांग्रेस के संगठन पर प्रियंका गांधी की कुशल रणनीति का प्रभाव भी स्पष्ट नजर आने लगा है, कांग्रेस संगठन आज प्रदेश में एक अलग कलेवर वाले संघर्षशील अंदाज में जनसमस्याओं को लेकर आए दिन सड़कों पर संघर्षरत नजर आने लग गया है, अब वो जनहित के मसलों पर जेल तक जाने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहने लगा है।

कांग्रेस को फिर से उबारने की कोशिश करतीं प्रियंका गांधी के कुशल नेतृत्व व कारगर रणनीति के चलते ही, आज उप्र में कांग्रेस की स्थिति यह हो गई है कि पार्टी नए जोशोखरोश के साथ उप्र के राजनीतिक मैदान में अघोषित मुख्य विपक्षी दल की भूमिका के रूप में बेहद तत्परता के साथ, किसानों, नौजवानों, बेरोजगारों, अन्य सभी वर्ग के आम लोगों की समस्याओं को उठाकर व आम जनता के बीच जाकर, एक बेहद सक्रिय राजनीतिक दल की भूमिका का पूर्ण ईमानदारी से निर्वाहन करने का प्रयास कर रही है। जिस तरह से प्रियंका गांधी उप्र में पार्टी को लगातार समय दे रही है, वह पार्टी के संगठनात्मक नजरिए से बेहद अच्छा है और उसको देखकर लगता है कि अब कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को भी यह समझ आ गया है, कि भविष्य में कांग्रेस की केंद्र में सरकार बनाने का रास्ता उप्र की धरती से ही निकलेगा। इसलिए ही इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए उप्र में कांग्रेस पार्टी एक बार फिर से अपनी खोई हुई जमीन व जनाधार को वापस हासिल करने के लिए दिन-रात एक करके अपनी संघर्षशील राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के नेतृत्व में धरातल पर जबरदस्त मेहनत कर रही है। वैसे पिछले बहुत लंबे समय से कांग्रेस हाईकमान के उपेक्षित व्यवहार के चलते उप्र में कांग्रेस पार्टी एकदम सुसुप्त अवस्था में चली गई थी। जिसको खड़ी करने के लिए अब प्रियंका गांधी दिन-रात मेहनत कर रही हैं।

उप्र के सदन में कांग्रेस पार्टी के विधायकों की कम संख्या बल की वजह से जो कांग्रेस के विधायकों की जनहित की आवाज दब गई थी, अब वो आवाज प्रियंका गांधी के दिए गए मंत्र से आए दिन सदन से लेकर सड़क तक जगह-जगह विरोध-प्रदर्शनों के रूप में गूंजती दिखाई देती है। अब प्रदेश के आम कांग्रेसी कार्यकर्ताओं व नेताओं में ऐसी ऊर्जा का संचार हुआ है कि वो बेहद मुखर होकर जन विरोध के रूप में सड़कों पर दिखने लगा है। कांग्रेस पार्टी की सदन से लेकर सड़क तक इस बेहद मुखर होती आवाज से अब राज्य में सत्तापक्ष भी अपने भविष्य की चिंता करके कहीं ना कहीं प्रियंका गांधी के फैक्टर से भयभीत है, वह कदम-कदम पर प्रियंका गांधी के फैक्टर की काट ढूंढ रहा है। उप्र में कांग्रेस को फिर से उबारने की कोशिश करतीं प्रियंका गांधी उस वजह से ही चिंतित होकर उप्र सरकार प्रियंका के प्रदेश दौरे के दौरान, उनकी राह में सरकारी तंत्र से अवरोध उत्पन्न कराने का कार्य करती है।

आज प्रियंका गांधी को रोकने के लिए प्रदेश सरकार समय-समय पर विभिन्न तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है, लेकिन फिर भी प्रियंका गांधी आम जनमानस की बेहद सशक्त आवाज बनकर बेखौफ होकर उप्र व केंद्र सरकार की बहुत सारी नीतियों को जनविरोधी बताकर उनके खिलाफ सोशल मीडिया के प्लेटफार्म से लेकर के राजनीति के अखाड़े तक में व जनता के बीच जाकर लगातार संघर्ष कर रही हैं। वो लोगों से संपर्क करके उनके दुख-दर्द में भागी बनने का प्रयास कर रही हैं। यह शैली उनके बेहद कुशल राजनेता होने के गुण को प्रदर्शित करती है।

प्रियंका गांधी की इस संघर्षशील कार्यशैली को देखकर, बहुत सारे देशवासियों व कांग्रेस कार्यकर्ताओं को प्रियंका गांधी में देश की लोकप्रिय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का अक्स नजर आता है। लोग उनके दृढ़ संकल्प, इच्छाशक्ति, अपनी बात को बेबाक होकर सरल मृदुभाषी हिन्दी में रखने वाली शैली व आम जनता के बीच रहने वाली शैली को देखकर मानते हैं कि वो आने वाले समय में देश की बेहद लोकप्रिय जननेता के रूप में खुद को बहुत ही जल्द स्थापित कर सकती है। हालांकि लोगों का मानना है कि इसके लिए उनको कांग्रेस की गांधी, नेहरू, पटेल, शास्त्री, इंदिरा व राजीव गांधी वाली विचारधारा पर दृढ़ संकल्प के साथ कायम रहना होगा, कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं पर हावी होती अन्य विचारधारा को अपने ऊपर व अपने आसपास के माहौल में हावी होने से रोकना होगा और उस विचारधारा के लोगों को अपने सिस्टम में एडजस्ट होने देने से बचना होगा। आज कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं के साथ-साथ देश के बहुत सारे लोगों को उनसे बहुत ज्यादा उम्मीदें है, इसलिए उनके सामने भी आम जनमानस की उम्मीदों पर खरा उतरने की बहुत बड़ी चुनौती खड़ी है।

आज देश के राजनीतिक हालात देखकर अधिकांश लोगों का मानना है कि हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए बेहद जरूरी है कि देश में मजबूत सरकार के साथ मजबूत विपक्ष भी हमेशा बरकरार रहे। इसके साथ ही यह भी बेहद जरूरी है कि विपक्ष का नेतृत्व भी एक ऐसे सशक्त समझदार शख्स के हाथ में हो, जो उसे सही दिशा देकर आम जनता की आवाज को सरकार के सामने बुलंद ढंग से उठा सके। आज कहीं ना कहीं उत्तर प्रदेश व देश के लोगों को वह मजबूत चेहरा प्रियंका गांधी में दिखाई दे रहा है। लॉकडाउन से पहले कांग्रेस पार्टी ने जिस तरह से सोनिया गांधी के नेतृत्व में पार्टी की स्टार प्रचारक जोड़ी राहुल-प्रियंका के बलबूते देश में नागरिकता संशोधन कानून व अन्य मसलों को लेकर मजबूती से भाजपा सरकार को घेरने का कार्य किया था, वह जनता के बहुत बड़े वर्ग की नजरों में बेहद काबिले-तारीफ था। उस दौरान प्रियंका गांधी ने दिल्ली के इंडिया गेट से लेकर लखनऊ की सड़कों पर बेहद मुखरता के साथ सरकार का विरोध किया था, जिसने जनता के बीच उनकी एक संघर्षशील राजनेता की छवि बनाने का कार्य किया था। उप्र में प्रियंका गांधी के नेतृत्व में पार्टी के खोए हुए जनाधार को वापस हासिल करने के प्रयास के रूप में एक अच्छा मौका कांग्रेस को मिला है। जनता की इच्छा रही तो यह प्रयास प्रदेश में कांग्रेस को बैसाखियों से मुक्त करके अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए सुनहरा अवसर बन सकता है और प्रदेश में शीर्ष नेतृत्व के द्वारा धरातल पर बहुत लंबे समय के बाद किया गया कोई ठोस कारगर राजनीतिक रामबाण उपाय भी साबित हो सकता है।

प्रियंका गांधी की इच्छा के अनुरूप उप्र में कांग्रेस पार्टी के सिपहसालार आरामतलबी से ग्रस्त व मृतप्राय: हो चुके कांग्रेस संगठन की पूर्ण ओवरहालिंग करके उसको चुस्त-दुरूस्त करने में लगे हुए हैं। हाल के दिनों में जिस तरह से उप्र कांग्रेस कमेटी कानून व्यवस्था, बेरोजगारी, किसानों की समस्या व आम जनमानस के सरोकार के विभिन्न मुद्दों को लेकर बेहद आक्रामक अंदाज में प्रदेश सरकार पर आए दिन हमलावर है, उसमें अब प्रियंका गांधी की कार्यशैली की छाप स्पष्ट नजर आने लगी है। खैर यह तो आने वाला समय व जनता की सर्वोच्च अदालत ही तय करेगी कि प्रियंका गांधी अपने मिशन उप्र में कहां तक कामयाब होंगी, लेकिन उन्होंने अपनी आम जनमानस के हित की लड़ाई की शैली से प्रदेश सरकार को यह दिखा दिया है कि जनता ने उप्र में कांग्रेस को मुख्य विपक्षी दल बनने के लिए बेशक विधायक ना दिए हों, लेकिन वो अब अन्य दलों को पीछे छोड़कर जनता की बात को दमदार ढंग से उठाकर भाजपा के सत्ता सिंहासन को हिलाने का कार्य जरूर कर रही है। वैसे भी उप्र में कांग्रेस की सबसे बड़ी जरूरत राज्यभर में संगठन को मजबूती प्रदान करके उसमें नया जोश भरना है, जिसकी शुरुआत प्रियंका गांधी ने अपने पहले दिन के साथ ही कर दी थी।

जितिन पर मेहरबानी

पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद उन 23 नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व में बदलाव और इसे और ज्यादा सजीव बनाने के लिए पत्र लिखा था। उप्र में इसको लेकर कुछ नेताओं ने विरोध भी किया था। हालांकि, जब गत दिनों केंद्रीय नेतृत्व ने बदलाव किया तो जितिन को प्रमोशन देकर यह साफ कर दिया कि उनके पत्र को सकारात्मक तौर पर लिया गया है। ऐसे में प्रदेश संगठन में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर यह संदेश किसके लिए है? उनके लिए जिन्होंने जितिन के खिलाफ प्रदर्शन करवाया था? पत्र में पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग की गई थी। साथ ही, संगठन को जीवंत बनाने की योजनाओं पर काम करने के लिए कहा गया था।

क्या प्रियंका उप्र फतह कर पाएंगी

प्रियंका गांधी ने उप्र कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर जिला व शहर अध्यक्ष तक सभी बदल डालें हैं। दरअसल प्रियंका गांधी कांग्रेस कार्यकर्ताओं को स्पष्ट संदेश देना चाहती हैं कि अब पार्टी में आरामतलबी नहीं चलेगी, आप सड़कों पर उतरकर जनहित के मसलों के लिए संघर्ष तो करो, अब वह दिन दूर नहीं है जब उप्र में कांग्रेस को अपनी खोई हुई जमीन वापस अवश्य मिलेगी। इसी उद्देश्य के साथ आरामतलबी से ग्रस्त कांग्रेस संगठन को प्रियंका गांधी अपनी इच्छा के अनरूप धरातल पर संघर्षशील बनाने के लिए स्वयं सड़कों पर उतरकर जनहित के मसलों पर संघर्ष करके, पार्टी में नई तरह से जान फूंकने के लिए प्रयासरत हैं। लेकिन प्रियंका गांधी को भी यह ध्यान रखना होगा कि गांधी-नेहरू की विचारधारा के लिए पहचाने जानी वाली कांग्रेस पार्टी पर अन्य किसी विचारधारा के लोग हावी ना हो पाए, क्योंकि यह भी कटु सत्य है कि कहीं ना कहीं यह लोग कांग्रेस के सिस्टम पर हावी होने लगे हैं और वो कांग्रेस के बेहद निष्ठावान व गांधी-नेहरू की विचारधारा वाले कांग्रेसियों को आए दिन परेशान कर रहे हैं। जिनके मान-सम्मान को बरकरार रखने की जिम्मेदारी उप्र में कांग्रेस की प्रभारी महासचिव प्रिंयका गांधी की है। 

- दिल्ली से रेणु आगाल

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