जांच को आंच नहीं
20-Oct-2020 12:00 AM 1033

 

मप्र वाकई अजब है, गजब है। यहां कब क्या हो जाए कुछ नहीं कहा जा सकता। अब उद्यानिकी विभाग में यंत्रीकरण योजना में किसानों से करीब 100 करोड़ की ठगी का मामला ही ले लें। घोटाले की प्राथमिक जांच में आईएएस अफसर के नेतृत्व वाली चार सदस्यीय टीम ने विभागीय अफसरों को दोषी पाया था और मामले की विस्तृत जांच ईओडब्ल्यू या लोकायुक्त से करवाने की अनुशंसा की थी। लेकिन उद्यानिकी विभाग के मंत्री भारत सिंह कुशवाह इस अनुशंसा से सहमत नहीं थे। उनका मानना था कि जांच किसी अन्य एजेंसी से कराने के बजाय विभाग स्तर से ही कराना चाहिए। लेकिन मामला मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की महत्वाकांक्षी योजना से संबंधित था, इसलिए ईओडब्ल्यू ने इस मामले को स्वविवेक से अपने हाथ में ले लिया है। ईओडब्ल्यू ने प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। ईओडब्ल्यू ने उद्यानिकी आयुक्त को नोटिस देकर सारा रिकॉर्ड तलब कर लिया है, जिसके बाद अब सीधे डीलरों के खाते में राशि देना बंद कर दी गई है। अब किसानों के खाते में डायरेक्ट-टू-बेनिफिट (डीबीटी) से अनुदान की राशि डाली जाएगी, जबकि पिछले साल डीलरों को सीधे करोड़ों के भुगतान कर दिए गए थे।

दरअसल, एक तरफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की योजना पर काम कर रही है। वहीं दूसरी तरफ यह बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। उद्यानिकी विभाग के अफसरों ने कंपनियों के साथ मिलकर यह घोटाला किया है, जिसमें किसानों को बड़ी चपत लगी है। दरअसल, इस पूरे घोटाले की नींव 1996 बैच के एक आईएफएस अफसर एम काली दुर्रई ने रखी है। दरअसल, दुर्रई उद्यानिकी विभाग में 1 अगस्त 2019 से लेकर 14 मई 2020 तक आयुक्त के पद पर रहे। इस दौरान उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों को दरकिनार कर किसानों के लिए ऑफलाइन पावर टिलर खरीदने का ऑर्डर देकर घोटाले को अंजाम दिया है। इसलिए ईओडब्ल्यू ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

ईओडब्ल्यू के निरीक्षक पंकज गौतम ने प्राथमिकी दर्ज करने वाले नोटिस के साथ यंत्रीकरण योजना में 2011 से शुरू होने का रिकॉर्ड तलब किया है। उद्यानिकी आयुक्त पुष्कर सिंह से योजना का ब्यौरा मांगने के साथ ही किसानों को देने वाले यंत्र, नाम, पता, अनुदान राशि और डीलरों का रिकॉर्ड मांगा गया है। पॉवर टिलर जैसे उपकरणों की खरीदी, किसानों को यंत्र देने की प्रक्रिया, उनसे अनुदान राशि लेने के तरीके जैसे सभी नियमों का रिकॉर्ड बुलाया गया है। उधर, ईओडब्ल्यू नोटिस के बाद उद्यानिकी आयुक्त पुष्कर सिंह ने सभी जिलों में किसी भी योजना में खरीदी पर अनुदान राशि सीधे किसानों के खाते में डालने के निर्देश जारी कर दिए हैं। पिछले साल तत्कालीन उद्यानिकी आयुक्त एम कालीदुरई ने डीबीटी में बदलाव कर दिया था। केंद्र के नियम बदल दिए गए थे। योजना के नोडल अफसर राजेंद्र कुमार राजौरिया के निर्देशों पर प्रदेश में एमपी एग्रो से किसानों को अनुदान की जगह करोड़ों की राशि डीलरों के खातों में डाली जा रही थी। इस मामले में एमपी एग्रो के एमडी श्रीकांत बनोठ के साथ चार सदस्यीय टीम ने करने के बाद ईओडब्ल्यू जांच की सिफारिश की थी। उन्होंने उद्यानिकी अफसरों पर कार्रवाई चाही थी, लेकिन मंत्री भारत सिंह कुशवाह ने नोडल अफसर राजेंद्र राजौरिया को बचाकर अपने गृह क्षेत्र में तबादला करा लिया है।

गौरतलब है कि प्रदेश में अफसर मौका मिलते ही किसानों के नाम पर फर्जीवाड़ा करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। इसके लिए वे फर्जी कंपनियों का सहारा लेने से भी पीछे नहीं रहते हैं। वर्ष 2019-20 में उद्यानिकी विभाग के तत्कालीन आयुक्त एम कालीदुर्रई सहित कुछ अधिकारियों ने किसानों को पावर टिलर के स्थान पर पावर विडर व पावर स्प्रेयर वितरित कर दिए। पावर टिलर की कीमत लगभग 1.50 लाख रुपए होती है। जबकि पावर विडर और पावर स्प्रेयर 21 हजार से 52 हजार रुपए तक के आते हैं। प्रदेश में इस योजना में कुल 1618 पॉवर टिलर किसानों को कथित रूप से प्रदाय किए गए। इस घोटाले की शुरूआत मंदसौर में किसान की शिकायत पर लोकायुक्त जांच से प्रारंभ हुई। लोकायुक्त जांच में स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि मुख्यालय से प्राप्त निर्देशानुसार अनुदान की राशि कंपनी के खाते में जमा की गई है। जबकि नियमानुसार अनुदान की राशि सीधे किसानों के खाते में जाना चाहिए। जब इस घोटाले की गंूज राजधानी तक पहुंची तो आनन-फानन में एक कमेटी बनाकर जांच कराई गई। अब इस पूरे मामले की जांच ईओडब्ल्यू कर रही है।

पोर्टल ऑफलाइन किया, फर्जी रजिस्ट्रेशन किए

योजना में निजी कंपनियों को फायदे के लिए सुनियोजित षड्यंत्र रचा गया। उद्यानिकी संचालनालय के अफसरों ने कंपनियों के साथ मिलकर विभाग के पोर्टल पर किसानों के अनुदान वाले सिस्टम को बदल दिया। आदेश में पोर्टल में होने वाली प्रक्रिया ऑफलाइन कर दी गई। यंत्रीकरण योजना में निर्देशों में बदलाव के लिए डायरेक्टर एम कालीदुरई और योजना के नोडल अफसर राजेंद्र कुमार राजौरिया जिम्मेदार थे। इनके माध्यम से ही जिलों में प्रभारी उप संचालक और जिला उद्यान अधिकारियों को निर्देश दिए जाते थे। यंत्रीकरण घोटाले की जांच दो एजेंसियों ने की है। लोकायुक्त पुलिस ने मंदसौर में तीन करोड़ के घोटाले को पकड़ा है। दूसरी जांच विभाग ने प्रदेश स्तर पर एमपी एग्रो के एमडी श्रीकांत बनोठ की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी से करवाई है। यह जांच उद्यानिकी मंत्री भारत सिंह कुशवाह को दोषियों पर जांच की सिफारिश के साथ सौंपी गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

- नवीन रघुवंशी

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