इंदौर में ठहराव, भोपाल में रफ्तार
19-Sep-2020 12:00 AM 3118

 

मप्र सरकार ने 2024 में भोपाल और इंदौर में मेट्रो को चलाने की घोषणा की है। लेकिन सरकार के सपनों के शहर इंदौर में ड्रीम प्रोजेक्ट मेट्रो रेल परियोजना के निर्माण में पिछले दो साल से ठहराव है। भाजपा की पुरानी शिवराज सरकार से शुरू होकर कांग्रेस की कमलनाथ सरकार से होकर फिर भाजपा सरकार में हम हैं। यानी दो साल में तीन सरकारों ने मेट्रो रेल का राजनीतिक सफर किया, लेकिन परियोजना जहां की तहां खड़ी है। दो साल पहले भाजपा सरकार में परियोजना के पहले चरण के पहले हिस्से के करीब 5.3 किलोमीटर हिस्से का ठेका दिया गया था। इसके बाद एक साल पहले कांग्रेस सरकार ने इसका भूमिपूजन किया था, लेकिन एक साल में 5.3 किलोमीटर तो दूर, एक मीटर रूट भी नहीं बन पाया। परियोजना की घोषणा हुई थी, तब बताया गया था कि इसके पहले चरण के 32.5 किलोमीटर का काम चार साल में पूरा हो जाएगा। बचे हुए दो-तीन साल में परियोजना कैसे पूरी हो पाएगी, समझा जा सकता है।

भोपाल और इंदौर की मेट्रो रेल परियोजनाओं को पूरा करने के लिए राज्य सरकार ने मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (एमपीएमआरसी) का गठन किया है। इंदौर मेट्रो के 32.5 किलोमीटर के रूट में अलग-अलग हिस्सों में निर्माण का ठेका दिया जाना है। एमआर-10 पर आईएसबीटी से मुमताज बाग कॉलोनी तक 5.3 किलोमीटर के पहले हिस्से का टेंडर सितंबर 2018 में दिलीप बिल्डकॉन को दिया जा चुका है। इसके बाद सितंबर, 2019 में इस रूट के लिए एमआर-10 ब्रिज के पास ही पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भूमिपूजन भी कर दिया। इसके 6 महीने बाद ही सरकार बदल गई। प्रदेश में एक बार फिर शिवराज सरकार है। मेट्रो रेल परियोजना दोनों नेताओं का ड्रीम प्रोजेक्ट है, लेकिन एमपीएमआरसी का तकनीकी अमला कहीं न कहीं नाकाम साबित हो रहा है।

एमपीएमआरसी ने दोनों रेल परियोजनाओं के लिए विदेशी कंपनी को 600 करोड़ रुपए से अधिक में कंसल्टेंसी का ठेका दिया हुआ है। सवाल उठ रहा है कि इतनी महंगी कंसल्टेंसी के बाद भी अब तक इंदौर में मेट्रो रूट का अलाइनमेंट और डिजाइन तय नहीं हो पाया है। इस कारण ठेका कंपनी भी काम शुरू नहीं कर पा रही है। प्रोजेक्ट में एयरपोर्ट से लेकर कोठारी मार्केट तक करीब साढ़े छह किलोमीटर का रूट अंडरग्राउंड रहेगा। अंडरग्राउंड रूट के लिए भी अब तक जियो टेक्निकल सर्वे नहीं हुआ है। इसे लेकर एमपीएमआरसी के टेक्निकल डायरेक्टर जितेंद्र दुबे और जीएम मनीष गंगारेकर की लापरवाही सामने आ रही है। जियो टेक्निकल सर्वे का टेंडर एक बार हो चुका था, लेकिन अब तक इस पर काम नहीं हो पाया है।

एमपीएमआरसी के टेक्निकल डायरेक्टर जितेंद्र दुबे कहते हैं कि इंदौर के मेट्रो प्रोजेक्ट पर काम शुरू होने में कोई दिक्कत नहीं है। फाउंडेशन का काम शुरू होगा। कोरोना के कारण काम रुका था, लेकिन अब जल्द गति पकड़ेगा। अलाइनमेंट करना है, लेकिन डिजाइन का काम ठेकेदार को ही करना है। अंडरग्राउंड ट्रैक के जियो टेक्निकल सर्वे का काम भी जल्दी शुरू हो जाएगा, यह प्रक्रिया में है। एमपीएमआरसी के जीएम मनीष गंगारेकर कहते हैं कि मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर मुझे कुछ नहीं कहना है। मुझे जो काम दिया गया है, वह कर रहा हूं। इससे ज्यादा बताने के लिए मैं अधिकृत नहीं हूं।

वहीं राजधानी में कोरोना के चलते ठप पड़ा हुआ मेट्रो का काम अब रफ्तार पकड़ने लगा है। एम्स से सुभाष नगर के बीच बनाए जा रहे एलिवेटेड रूट में अब तक 80 पिलर बनाए जा चुके हैं। इतना ही नहीं सुभाष नगर फाटक के पास तो इन पिलर में गर्डर डालने का काम भी शुरू हो गया है। पिछले तीन दिन में करीब चार गर्डर इस रूट पर डाले जा चुके हैं। जल्द ही एम्स के पास स्थित रूट में भी काम शुरू किया जाएगा। बता दें कि कान्हासैया में पिलर बनाने और गर्डर का काम निरंतर चल रहा है। मैदामिल रोड पर काम तेजी से चल रहा है। पहले रूट में फिलहाल सुभाष नगर से एम्स तक एलिवेटेड रूट का निर्माण दिलीप बिल्डकॉन कर रहा है। इस पर 277 करोड़ रुपए खर्च होंगे। कंपनी ने एम्स की तरफ से पिलर बनाने का कार्य शुरू कर दिया है। भोपाल में एम्स से करोंद और डिपो चौराहा से रत्नागिरी तिराहा तक मेट्रो रूट बनाया जाना है।

2023 तक एम्स से सुभाष नगर तक का काम हर हाल में पूरा हो जाएगा। इसकी कुल लागत 6941 करोड़ 40 लाख रुपए है। मेट्रो प्रोजेक्ट में केंद्र व राज्य सरकार की 20-20 फीसदी की हिस्सेदारी होगी। बाकी राशि मप्र मेट्रो रेल कंपनी लोन, पीपीपी मोड व अन्य स्त्रोत से जुटाएगी। इसके अलावा राज्य सरकार भूमि अधिग्रहण, पुनर्स्थापन और पुनर्वास में आने वाला करीब 250 करोड़ रुपए का खर्च उठाएगी। इसके लिए यूरोपियन इन्वेस्ट बैंक से लोन लिया जाना है। इधर, बीते दिनों मप्र मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के प्रोजेक्ट की समीक्षा करते हुए अगस्त 2023 तक एम्स से सुभाष नगर तक का मेट्रो का काम पूरा होने का दावा किया गया है। हालांकि, इसमें कई रुकावटे हैं, जिन्हें अभी दूर किया जाना बाकी है।

इन बाधाओं को अभी किया जाना है दूर

हबीबगंज नाका पर मेट्रो सिविल वर्क में कई बाधाएं सामने आ रही हैं। यहां नगर निगम की पाइपलाइन है। इसके अलावा बीएसएनएल की लाइन भी बाधा है। रेलवे की बाउंड्रीवॉल को भी पीछे नहीं किया गया। मानसरोवर कॉम्प्लेक्स के सामने सड़क की ओर अतिक्रमण को नहीं हटाया गया। जैन मंदिर के सामने स्थित पेट्रोल पंप को लेकर निर्णय नहीं लिया गया। बिजली ट्रांसफार्मर की शिफ्टिंग नहीं की गई। हबीबगंज स्टेशन की ओर इलेक्ट्रिक लाइन व पोल नहीं हटाए गए। करोंद से एम्स के बीच एक भूमिगत स्टेशन बनाया जाएगा। यह सुभाष नगर फाटक के पास हो सकता है। स्टेशन तक जाने के लिए भूमिगत टनल का निर्माण भी करना होगा। स्टड फार्म की जमीन पर मेट्रो डिपो का निर्माण प्रस्तावित है। स्टेशन, टनल का निर्माण शुरू करने के पहले जियोटेक्निकल स्टडी कराई जा रही है। इस पर 3.65 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। इस रिपोर्ट के बाद स्थान फाइनल किया जाएगा।

- विकास दुबे

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