हाईटेक जालसाजी
19-Sep-2020 12:00 AM 796

 

जैसे-जैसे दुनिया हाईटेक होती जाती है, वैसे-वैसे जालसाजों के जाल में फंसती जा रही है। मप्र सहित देशभर में सायबर क्राइम अब आम बात हो गई है। रोजाना लोग ठगे जा रहे हैं। ऐसा ही एक गिरोह भोपाल की सायबर क्राइम ब्रांच के हाथ लगा है। पुलिस ने हाईटेक जालसाज गिरोह के मुखिया समेत 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें दो युवतियां शामिल हैं। यह गिरोह फर्जी वेबसाइट के माध्यम से लोगों को लोन दिलाने का झांसा देकर उनसे ठगी करता था। गिरोह का मुखिया अपनी मंगेतर के साथ मिलकर अब तक 10 हजार लोगों से 10 करोड़ रुपए की ठगी कर चुका है। क्राइम ब्रांच को अब तक ऐसी 12 वेबसाइट्स का पता चल चुका है और ठगी का शिकार हुए एक हजार लोगों से संपर्क कर चुकी है।

सायबर क्राइम ब्रांच के मुताबिक जनवरी में पद्मेश सिंह ने शिकायत की थी कि दिसंबर 2019 में पर्सनल लोन देने के नाम पर उनके साथ धोखाधड़ी की गई है। इसके बाद पुलिस ने आरोपी डेविड कुमार जाटव, नेहा भट्ट और मनीषा भट्ट को नोएडा से गिरफ्तार किया है। एक साथी कमल कश्यप फरार है। आरोपियों के कब्जे से 6 लैपटॉप, 25 मोबाइल फोन, 21 पेन ड्राइव, 8 एक्टिवेटेड सिम, 19 डेबिट कार्ड और वेबसाइट संबंधी दस्तावेज जब्त किए गए हैं। आरोपी डेविड फर्जी वेबसाइट डेवलप कर इनका गूगल के माध्यम से विज्ञापन देता था। जब ग्राहक लोन के लिए अपनी पर्सनल डीटेल अपलोड करते थे, तब कंपनी के कॉल सेंटर से उन्हें कॉल करके युवतियां उनसे अलग-अलग चार्जेस के नाम पर 30-40 हजार रुपए फर्जी बैंक खातों में ट्रांसफर करा लेती थीं। आरोपी औसतन 1000-1200 लोगों को ठग कर वेबसाइट को दो से ढाई महीने में बंद कर देते। गिरोह ने दो कॉल सेंटर नोएडा उप्र में डेढ़ लाख रुपए प्रतिमाह के किराए पर ले रखे थे। 10-15 हजार रुपए मासिक वेतन पर यहां युवतियों को रखा जाता था जो हर ग्राहक का रिकॉर्ड साफ्ट कॉपी में एक्सल में नोट करती थीं। इनका परीक्षण करने पर खुलासा हुआ है कि आरोपियों ने 10 हजार लोगों से 10 करोड़ रुपए से अधिक की ठगी की है।

आरोपी फर्जी वेबसाइट का गूगल ऐड के माध्यम से विज्ञापन देते थे। इस पर ग्राहक लोन लेने के लिए अपनी पर्सनल जानकारी डालते थे। जानकारी के अनुसार कंपनी के कॉल सेंटर से ग्राहकों को लड़कियां कॉल करती थीं। लोगों से प्रोसेसिंग फीस, सिक्योरिटी डिपोजिट, जीएसटी एवं वनटाइम ट्रांजेक्शन के नाम पर अलग-अलग चार्ज के लिए करीब 40 हजार रुपए ऑनलाइन जमा करवाते थे। एक वेबसाइट करीब ढाई माह ही चलाते थे। इस दौरान करीब 12 लोगों को शिकार बना लेते थे। हर महीने फर्जी बैंक खातों एवं सिम कार्ड बदल देते थे।

आरोपियों ने नोएडा में दो कॉल सेंटर किराए पर ले रखे थे। इनका 1.50 लाख रुपया एक महीने का किराया था। इसमें 10 से 15 हजार रुपए के वेतन पर 30 लड़कियों को रखा गया था। लड़कियों को प्रत्येक ग्राहक का रिकार्ड साफ्ट कॉपी में एक्सल में नोट करना होता था। इनसे अब तक करीब 10 हजार लोगों का रिकॉर्ड मिला है। पुलिस ने आरोपियों के पास से छह लैपटॉप, 25 मोबाइल फोन, 21 पेन ड्राइव, 8 एक्टिवेटेड सिम कार्ड, 19 डेबिट कार्ड, 3 रेंट एग्रीमेंट संबंधी दस्तावेज, 3 वेबसाइट संबंधी दस्तावेज, 1 राउटर मय मोडेम मय इंटरनेट कंवेटर व एक बलेनो कार जब्त की है।

मप्र में पकड़े गए सायबर ठगों से इस बात का खुलासा हुआ है कि झारखंड के कई ऐसे जिले हैं, जहां पर सायबर गैंग सक्रिय है। इस गैंग के लोग झारखंड में बैठे-बैठे ही भोपाल समेत दूसरे जिलों के लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं। स्टेट सायबर सेल ने गुना-शिवपुरी मॉड्यूल का पर्दाफाश किया था। यह मॉड्यूल भी झारखंड के मॉडल की तरह बैंकिंग फ्रॉड का काम करता था। इस मॉड्यूल का तार पूरे देशभर से जुड़ा है। इसके अलावा भोपाल सायबर क्राइम भी समय-समय पर ठगों को गिरफ्तार कर चुकी है। इन ठगों के तार भी झारखंड के अलावा दिल्ली राजस्थान और दूसरे राज्यों से जुड़े हैं। ऐसे में दूसरे राज्यों से कनेक्शन होने की वजह से पुलिस को जांच करने में दिक्कत आती है और आरोपी अक्सर उनकी गिरफ्त से बाहर रहते हैं। ऐसे में सबसे ज्यादा आम लोगों को जागरूक करने की जरूरत है।

9 महीने लगे पकड़ने में

एडीजी भोपाल उपेंद्र जैन ने बताया कि जनवरी 2020 में आवेदक पद्मेश सिंह ने शिकायत की थी। उन्होंने बताया कि दिसंबर 2019 में पर पर्सनल लोन का विज्ञापन देखा। कॉल करने पर आरोपियों ने बहुत कम दर पर लोन दिलाने का भरोसा दिलाया। उसके बाद उन्होंने अलग-अलग खातों में रुपए जमा करवा लिए। रुपए पहुंचने के बाद वेबसाइट दिखना बंद हो गई। उनकी शिकायत की जांच में सायबर क्राइम ब्रांच को 9 महीने तक मेहनत करनी पड़ी। इस मामले में पुलिस ने नोएडा से मुख्य आरोपी डेविड कुमार जाटव उसकी मंगेतर नेहा भट्ट और उसकी बहन मनीषा भट्ट को गिरफ्तार किया। उनका एक साथी कमल कश्यप नाम का चौथा आरोपी फरार है। पुलिस ने आरोपियों के पास से कॉल सेंटर और ठगी की वारदात करने के लिए उपयोग दस्तावेजों के साथ ही उपकरण भी जब्त किए हैं। पुलिस ने आरोपियों के पास से कॉल सेंटर और ठगी की वारदात करने के लिए उपयोग दस्तावेजों के साथ ही उपकरण भी जब्त किए हैं।

- श्याम सिंह सिकरवार

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