19-Sep-2020 12:00 AM
1226
शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क की सीमा का विस्तार करने और उद्यान में एक बार फिर टाइगर सफारी शुरू करने के लिए माधव नेशनल पार्क प्रबंधन ने 40 करोड़ रुपए खर्च कर डाले। 13 गांवों का विस्थापन करते हुए मुआवजा भी बांट दिया लेकिन अब तक पार्क में टाइगर सफारी की शुरुआत नहीं हो सकी है। इसके कारण टाइगर देखने आने वाले पर्यटकों को निराशा हाथ लगती है। यहां तक कि नेशनल पार्क के नाम पर राजस्व रिकॉर्ड में जमीन भी स्थानांतरित कर दी गई है। बावजूद इसके गांव खाली नहीं कराए जा सके और ग्रामीण आज भी खेती कर रहे हैं। प्रशासनिक मंशा की कमी के चलते बीते कई सालों से यह प्रोजेक्ट अटका हुआ है।
माधव राष्ट्रीय उद्यान की सीमा का विस्तार करने और टाइगर सफारी की पुर्नस्थापना करने के लिए कवायद वर्ष 2000 में शुरू की गई थी। उसके बाद इसका प्रस्ताव बनाकर भेजा गया। मंजूरी मिलने के बाद 13 गांवों के विस्थापन का काम शुरू किया गया। मुआवजे का निर्धारण कर ग्रामीणों को पार्क प्रबंधन तथा राजस्व अमले ने मिलकर मुआवजा भी बांटा। इस दौरान 40 करोड़ रुपए खर्च किए गए। इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए अर्जुनगवां, लखनगवां, बलारपुर, मितलौनी, कांठी सहित कुछ अन्य गांवों का विस्थापन किया गया था जो माधव नेशनल पार्क की सीमा में बसे हुए थे। इन गांव के ग्रामीणों को खेती सहित मकान का मुआवजा भी प्रति परिवार के हिसाब से दिया गया था लेकिन मुआवजा लेने के बाद भी कई ग्रामीण आज भी इन इलाकों में खेती कर रहे हैं।
नेशनल पार्क के अंदर टाइगर सफारी की शुरुआत तत्कालीन केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया की पहल पर शुरू की गई थी और यहां पर पेटू और तारा नाम के टाइगर साल 1988 में लाए गए थे। इसके बाद वंश वृद्धि हुई और एक समय संख्या 10 तक जा पहुंची थी। बाद में किसी कारणवश शावकों की मौत होती गई। यहां तक बताया जाता है कि तारा के नरभक्षी हो जाने के चलते उसे वन्य प्राणी उद्यान भोपाल भेज दिया था। इसके बाद टाइगर सफारी साल 1999 में बंद कर दी गई थी, जिसे पुर्नस्थापित करने की कवायद शुरू हुई थी।
एक तरफ जिला प्रशासन अब तक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सका है तो वहीं विस्थापित होने वाले ग्रामीण अपना पक्ष रखते हुए कहते हैं कि उन्हें जो मुआवजा दिया गया, वह पुरानी दर पर था। निर्णय कई साल पहले हो गया था इसलिए बढ़ाकर राशि नहीं दी गई। उक्त इलाके में रहने वाले होतम, सुल्तान व बारेलाल गुर्जर का कहना है कि उनके कुछ लोगों ने इस मामले को ऊपर तक उठाया है और कुछ न्यायालय भी गए हैं। सीसीएफ वन विभाग एवं संचालक माधव राष्ट्रीय उद्यान शिवपुरी वायपी सिंह कहते हैं कि टाइगर पुनर्स्थापना प्रोजेक्ट पर फिलहाल कोई प्रोग्रेस नहीं हैं। हम इस संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों से जल्द ही बातचीत करने वाले हैं। जिसके बाद उम्मीद है कि प्रोजेक्ट पर आगे काम हो सकेगा।
ज्ञात रहे कि पूर्व में भी नेशनल पार्क में टाइगर सफारी था, जो वर्ष 2006 में खत्म हो गया। माधव नेशनल पार्क के असिस्टेंट डायरेक्टर बीएस यादव ने बताया कि अभी हाल ही में प्रदेश के 6 जिलों में टाइगर सफारी शुरू किया जाना था, जिसमें ग्वालियर को शामिल किया गया। चूंकि ग्वालियर में एक बड़ा जू है, इसलिए अब ग्वालियर के लिए स्वीकृत टाइगर सफारी को शिवपुरी ट्रांसफर कर दिया गया। यादव ने बताया कि इसके लिए हमने प्रस्ताव भी भेज दिया है और पार्क में टाइगर सफारी के लिए 2500 हैक्टेयर एरिया भी चिन्हित कर लिया गया है। चूंकि नेशनल पार्क में सैलानियों को घूमने का ओपन एरिया है, इसलिए टाइगर रिजर्व के क्षेत्र को 12 फीट ऊंची जाली से कवर्ड किया जाएगा। उन्होंने बताया कि बनाई जाने वाली टाइगर सफारी में शिकार के लिए सांभर, हिरण सहित अन्य शाकाहारी वन्यजीवों को भी रखा जाएगा, ताकि टाइगर को अपने एरिया में ही शिकार मिल सके। यादव ने बताया कि पूर्व में जो टाइगर सफारी थी, उसका एरिया काफी कम होने के साथ ही वो कई नियमों को पूरा नहीं कर रही थी। लेकिन अब जो नई टाइगर सफारी शुरू होगी, उसमें सभी नियमों का पूरी तरह से पालन किया जाएगा। माधव नेशनल पार्क में सफारी बनने के बाद जब उसमें खुले में टाइगर विचरण करेगा तो सैलानियों की संख्या बढ़ना तय है। क्योंकि विदेशी सहित देश के अलग-अलग राज्यों से आने वाले पर्यटकों की पहली पसंद टाइगर होते हैं। जब शिवपुरी में सैलानियों की आमद बढ़ेगी तो शहर की अर्थव्यवस्था में भी सुधार आएगा। क्योंकि शिवपुरी में जितने हैरीटेज व प्राकृतिक झरने हैं, उतने कहीं दूसरी जगह नहीं है।
18 साल तक रही थी टाइगर सफारी
माधव नेशनल पार्क में वर्ष 1988-89 में टाइगर सफारी शुरू की गई थी, जिसमें भोपाल वन विहार से पेटू व तारा टाइगर का एक जोड़ा मंगवाया गया था। इस जोड़े से अक्टूबर 1991 में एक नर व दो मादा बच्चों ने जन्म लिया। तीसरी बार तीन मादा बच्चों का जन्म 1993 में हुआ। नवंबर 1995 में दो नर व दो मादा बच्चे पैदा हुए। एक समय था जब टाइगर सफारी में कई टाइगर हो गए थे। लेकिन वर्ष 2006 में इसे बंद कर दिया गया। शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क अभी 165 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला हुआ है, लेकिन बफर जोन बनाए जाने के लिए पार्क के अंदर मौजूद 7 गांव खाली कराए जा रहे हैं। जिनमें से छह गांव तो खाली हो गए, लेकिन कुछ परिवार अभी हाईकोर्ट से स्टे ले आए। यह एरिया खाली होगा तो 189 वर्ग किमी एरिया पार्क में बढ़ जाएगा, और माधव नेशनल पार्क का कुल क्षेत्रफल 354 वर्ग किमी हो जाएगा। बफर जोन बनने के बाद नेशनल पार्क में टाइगर को घूमने के लिए एक लंबा क्षेत्र मिलेगा।
- धर्मेन्द्र सिंह कथूरिया