दे श और प्रदेश में लोग कोरोना की महामारी से जूझ रहे हैं कि इसी बीच किसानों के लिए टिड्डी दल आफत बनकर टूट पड़ा है। राजस्थान में तबाही मचाने के लिए टिड्डी दल अब मप्र में तबाही मचा रहा है। यह दल प्रदेश में सीहोर, मंदसौर, नीमच, रतलाम, खंडवा, सागर, जबलपुर, दमोह, कटनी सहित एक दर्जन से अधिक जिलों में फसलें चट कर चुका है। टिड्डी दल को रोकने के लिए किसानों और प्रशासन के सारे प्रयास फेल हो गए हैं। अब तक यह दल हजारों एकड़ की फसल और पेड़-पौधे चट कर चुका है।
मध्यप्रदेश में साधारण टिड्डी (ग्रास हूपर) का हमला तो सामान्य रहा है, लेकिन रेगिस्तानी टिड्डी (डेजर्ट लोकस्ट) का यह हमला तकरीबन 26 साल बाद हुआ है। इससे पहले यहां 1993 में यह हमला हुआ था। लोकस्ट विशेषज्ञ अनिल शर्मा ने बताया कि रेगस्तानी टिड्डे, ग्रास हूपर्स के मुकाबले अधिक दूरी तय करते हैं और काफी तबाही मचाते हैं। वे अपने रास्ते में आने वाली हरियाली को चट कर जाते हैं। अनिल शर्मा के मुताबिक राजस्थान से टिड्डे हवा के बहाव के साथ उत्तरप्रदेश, बिहार और पंजाब का रुख करते हैं, लेकिन संभव है मौसम में बदलाव की वजह से वे इस बार मध्यप्रदेश की तरफ पहुंच गए हों।
जिला स्तर पर टिड्डी दल के आक्रमण से निपटने की कई कोशिशें हो रही है। मंदसौर के कलेक्टर मनोज पुष्प ने कहा कि सेंट्रल लोकस्ट की एक टीम टिड्डी दल के नियंत्रण में लगी है, जिसके साथ जिला प्रशासन की टीम भी दवा छिड़काव कर रही है। प्रशासन सेंट्रल लोकस्ट के द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के मुताबिक छिड़काव कर स्थिति से निपट रहा है। जिले के किसान कल्याण और कृषि विकास के उपसंचालक अजीत सिंह राठौर ने कहा कि पहली बार जिले में टिड्डी दल का आक्रमण हुआ है। उन्होंने इस बात की भी पुष्टि की कि यह रेगिस्तानी टिड्डी ही है। उन्होंने कहा कि जिले में राजस्थान की ओर से टिड्डी दल भानपुरा और गरोठ ब्लॉक के गावों में फैला है।
वह कहते हैं कि वर्तमान में कोई भी कृषि फसल प्रभावित नहीं होने के कारण ज्यादा प्रकोप की कोई आशंका नहीं हैं। इस इलाके में उद्यानिकी फसलों में मुख्य रूप से संतरा पाया जाता है जिसे अब तक कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है। टिड्डी के बचाव से किसानों को जागरूकता के लिए विभाग ने 76 हजार किसानों को एसएमएस और वॉट्सएप पर संदेश भेजे हैं।
जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के कीट विशेषज्ञ एके भौमिक ने बताया कि टिड्डी दल का हमला मध्यप्रदेश की कृषि पर एक बड़ा संकट है और इससे निपटने के लिए सरकारी स्तर पर व्यापक प्रबंध करना होगा। छोटे किसान जब तक दवाई खरीदकर छिड़काव की तैयारी करेंगे, तब तक उनका खेत खराब हो जाएगा। सरकार को ड्रोन के माध्यम से हवा में दवा का छिड़काव करना चाहिए और टिड्डी दल के आगमन का पूर्वानुमान लगाकर ही तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।
कृषि विभाग की मानें तो एक टिड्डी दल में लाखों की संख्या में किट होते हैं। इनकी गिनती करना मुश्किल होता है। इसलिए इनका अनुमान किलोमीटर के हिसाब से लगाया जाता है। अब तक सबसे बड़ा दल 8 से 10 किमी लंबा नापा गया है। कृषि विभाग के अनुसार ये टिड्डी दिन में ऊंचाई पर उड़ती है और रात होते ही जमीन पर आ जाती है। इससे जहां भी यह दल रुकता है। वहां तबाही मचा देता है। इसलिए कृषि विभाग इन टिड्डियों पर सतत निगाह रख रहा है। खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) का मानना है कि लॉकडाउन ने टिड्डी दल को फैलने में बड़ी मदद की है। अप्रैल के मध्य में भारत, पाकिस्तान, ईरान और अफगानिस्तान के प्रतिनिधियों के साथ हुई बैठक में एफएओ के अधिकारियों ने कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन के असर पर चर्चा की थी। बैठक में एक चिंताजनक तथ्य यह पता चला था कि लॉकडाउन के कारण ईरान ने टिड्डी दलों को मारने के लिए केमिकल का छिड़काव रोक दिया है। इस बैठक में एफएओ के अधिकारियों ने चेतावनी दी थी कि टिड्डी दलों के रोकथाम के अभाव में इनका लगातार प्रजनन होगा और हालात बेकाबू हो जाएंगे। उन्होंने चेताया था कि ये टिड्डी दल भारत के नए भौगौलिक क्षेत्रों और पड़ोसी देशों का रुख करेंगे।
जून-जुलाई में हो सकता है सबसे भीषण हमला
कोरोना से जूझ रहे मप्र के लोगों की आफत कम होने का नाम नहीं ले रही है। इस बार जून-जुलाई में सीमा पार से टिड्डियों का भीषण हमला होने के हालात बन रहे हैं। भारत में मार्च और अप्रैल में टिड्डी दलों के लिए अनुकूल स्थितियां बन चुकी थीं। बारिश के कारण आई नमी और हरियाली ने इन टिड्डी दलों को भारत आने के लिए प्रेरित किया। उधर, टिड्डी दलों को नियंत्रित करने के संबंध में एफएओ अधिकारियों की अहम बैठक हुई। एफएओ के महानिदेशक क्यूयू डोंक्यू का कहना है कि जीवन-यापन और खाद्य सुरक्षा पर कोविड-19 और टिड्डी दल के विनाशकारी परिणाम होंगे। पाकिस्तान के एक तिहाई से अधिक हिस्से में टिड्डियां अंडे दे चुकी हैं। अगले माह के अंत तक पूर्वी अफ्रीका से करोड़ों टिड्डियों के समूह भारत की तरफ आएंगे। संयुक्त राष्ट्र की खाद्य एवं कृषि एजेंसी ने भी इस बारे में चेतावनी जारी की है। प्रदेश में टिड्डियों के छोटे समूहों के हमले एक माह से चल रहे हैं और यहां चलने वाली आंधियों के कारण ये यहां से काफी आगे तक पहुंच चुकी हैं। संयुक्त राष्ट्र की खाद्य एवं कृषि एजेंसी के एक शीर्ष अधिकारी ने आगाह किया कि टिड्डियों का दल अगले महीने पूर्वी अफ्रीका से भारत और पाकिस्तान की ओर बढ़ सकते हैं। हम दशकों में अब तक के सबसे खराब मरुस्थलीय टिड्डी हमले की स्थिति का सामना कर रहे हैं। मौजूदा वक्त में टिड्ड्यिों का हमला केन्या, सोमालिया, इथोपिया, दक्षिण ईरान और पाकिस्तान के कई हिस्सों में सबसे अधिक गंभीर है।
- बृजेश साहू