बिगड़े बोल से सरकार मुसीबत में
04-Feb-2020 12:00 AM 554

महाराष्ट्र में शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी नेताओं के बेतुके बयान राज्य की ठाकरे सरकार के लिए मुसीबत बन रहे हैं। पहले शिवसेना नेता, सांसद संजय राउत का देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के अंडरवल्र्ड डॉन करीम लाला, हाजी मस्तान से मुलाकात पर दिया विवादित बयान, फिर मुसलमानों के कहने पर ठाकरे सरकार में शामिल होने के कांग्रेस नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के गैर जिम्मेदाराना बयान के बाद अब अशोक चव्हाण के ही नए बयान ने सरकार को मुश्किल में लाकर खड़ा कर दिया है। अशोक चव्हाण के ताजा बयान से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और एनसीपी प्रमुख शरद पवार काफी नाराज हैं और इस बयान को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से चर्चा करने वाले हैं। चव्हाण ने कहा है कि पार्टी हाईकमान ने सरकार में शामिल होने से पहले राज्य के नेताओं को निर्देश दिए थे कि वो शिवसेना से लिखित आश्वासन ले कि वो संविधान के दायरे में रहकर ही सरकार चलाएंगे। 28 नवंबर 2019 को उद्धव ठाकरे के शपथ लेते ही राज्य में ठाकरे सरकार का उदय हुआ। एक महीने बाद उद्धव ठाकरे सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ। सभी 43 मंत्रियों का मंत्रिमंडल राज्य की सेवा में जुटेगा ऐसी उम्मीद थी। लेकिन काम से ज्यादा बयानबाजी में इन नेताओं का ध्यान था। बयान की शुरुआत हुई शिवसेना सांसद संजय राउत से। संजय राउत ने पुणे के एक कार्यक्रम में अंडरवल्र्ड के विषय में बात करते हुए गुंडों का सीधे देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से कनेक्शन जोड़ दिया। उन्होंने कहा 'अंडरवल्र्ड डॉन करीम लाला, हाजी मस्तान देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मुलाकात किया करते थे। 60-70 के दशक में मुंबई पुलिस कमिश्नर के पद पर कौन बैठेगा ये भी अंडरवल्र्ड तय करता था। और तो और जब ये डॉन मंत्रालय आते थे तो पूरा मंत्रालय खाली कराया जाता था।Ó राउत के इस बयान ने कांग्रेस को काफी नाराज किया। कांग्रेस हाईकमान ने संजय राउत को रोकने के लिए खुद मुख्यमंत्री से कहा तो राज्य के कैबिनेट मंत्री नितिन राउत ने सरकार से बाहर निकलने की धमकी तक दे दी। नितिन राउत ने कहा कि 'अगर हमारे नेताओं पर इसी तरह के बयान शिवसेना की तरफ से दिए गए तो हम सरकार से पीछे हटने में कतराएंगे नहीं।Ó दबाव के बाद संजय राउत ने अपने बयान पर माफी मांगते हुए सफाई भी दी। राउत ने कहा 'करीम लाला पठान नेता थे और पठान नेता के तौर पर ही इंदिराजी से मिलते थे। मेरे इस बयान से किसी को ठेस पहुंची हो तो मैं खेद व्यक्त करता हूं।Ó ये मामला शांत हुआ ही था कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा कैबिनेट मंत्री अशोक चव्हाण ने नांदेड़ की एक जनसभा में कह दिया कि मुसलमानों की वजह से वो इस सरकार में शामिल हुए। राज्य का मुसलमान ये चाहता था कि बीजेपी को सरकार से बाहर रखे तभी हम इस सरकार में शामिल हुए। अशोक चव्हाण के इस बयान की कड़ी आलोचना हुई। बीजेपी ने कांग्रेस पर निशाना साधा लेकिन अशोक चव्हाण ने बयान वापस नहीं लिया। उल्टा चव्हाण ने मीडिया पर ही गलत तरीके से बयान दिखाने का आरोप लगा दिया। इस बयान से शिवसेना नाराज थी। शिवसेना ने अपनी नाराजगी कांग्रेस के प्रभारी नेताओं तक पहुंचाई। इसके बाद कांग्रेस के महाराष्ट्र प्रभारी मल्लिकार्जुन खडग़े दिल्ली से मुंबई आए। मुंबई आकर सभी मंत्री, नेता और प्रवक्ताओं से जिम्मेदारी से बयान देने के निर्देश दिए। लेकिन उसके कुछ ही दिन बाद अशोक चव्हाण ने ही एक और विवादित बयान दे दिया जिससे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और एनसीपी प्रमुख शरद पवार बेहद नाराज बताए जा रहे हैं। अशोक चव्हाण ने कहा कि पार्टी हाईकमान ने सरकार में शामिल होने से पहले राज्य के नेताओं को निर्देश दिए थे कि वो शिवसेना से लिखित आश्वासन लें कि वो संविधान के दायरे में रहकर ही सरकार चलाएंगे। अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम सरकार से बाहर आने में देर नहीं करेंगे। अशोक चव्हाण के इस बयान से उद्धव ठाकरे, शरद पवार नाराज हैं। बताया जा रहा है कि इस विषय में ठाकरे और पवार सोनिया गांधी से बात करके अपनी आपत्ति जताने वाले हैं। एनसीपी नेता और कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक ने अशोक चव्हाण के बयान पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि सरकार में रहकर इस तरह के बयान देना गलत है। सरकार कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत काम कर रही है। इस प्रकार के बयान देकर सरकार को नुकसान पहुंचाना गलत है। महाराष्ट्र की राजनीति ने देश को नई राह दिखाई राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन का श्रेय राज्य के अल्पसंख्यकों को जाता है, क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि बीजेपी सत्ता में दोबारा वापस लौटे। यही वजह रही कि अल्पसंख्यकों ने बीजेपी के खिलाफ वोटिंग की। इसके बाद बदलते सियासी माहौल में एनसीपी-शिवसेना-कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई। महाराष्ट्र की राजनीति में इस घटनाक्रम ने देश को एक राह दिखाई है। मुंबई में एनसीपी चीफ शरद पवार ने पार्टी की अल्पसंख्यक इकाई की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि चुनाव परिणाम आने के कई दिन बाद भी जब बीजेपी और शिवसेना के बीच सरकार गठन के मुद्दे पर कोई सहमति नहीं बन पाई, तब शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस एक साथ आईं और काफी विचार-विमर्श के बाद राज्य में सरकार बनाई। पवार ने खुलासा किया कि अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों ने उनसे कहा था कि यदि उनकी पार्टी शिवसेना के साथ हाथ मिलाती है, तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी लेकिन बीजेपी को महाराष्ट्र में सत्ता से दूर रखा जाना चाहिए। शिवसेना के साथ संभावित तालमेल के बारे में महाराष्ट्र के साथ ही उत्तर प्रदेश, बिहार और दिल्ली के लोगों से भी सलाह ली गई थी। हमें अल्पसंख्यकों की ओर से कहा गया कि यदि आप शिवसेना का साथ लेना चाहते हैं, तो आप ऐसा कर सकते हैं, लेकिन बीजेपी को दूर रखिए। इसीलिए अल्पसंख्यकों ने भी शिवसेना के साथ सरकार बनाने का स्वागत किया। - बिन्दु माथुर

FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^