अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में जो बिडेन डेमोक्रेटिक पार्टी का प्रत्याशी बनकर सामने आए हैं। अपने वालेंटियर्स के एक शानदार नेटवर्क और चंदा इकट्ठा करने वाले एक सुचारू तंत्र के बावजूद बर्नी सैंडर्स डेलिगेट्स का गणित अपने पक्ष में न होने की बात समझ चुके थे। उनके पीछे हटते ही बिडेन की दावेदारी साफ हो गई। मार्च में सैंडर्स कुल 26 प्राइमरी में हुए चुनावों में से सिर्फ सात जीत सके थे। वे बिडेन से करीब 300 डेलिगेट पीछे थे। यह आंकड़ा इतना बड़ा था कि इसकी खाई पाटना मुश्किल था। लेकिन सैंडर्स के पैर पीछे खींचने और उनका बिडेन को समर्थन देने की कई बातें छुपी हैं, जिन्हें ठीक तरीके से समझा जाना चाहिए। साफ है कि यहां कोई साजिश की बात नहीं है। हालांकि प्रेसिडेंट ट्रम्प ने ऐसा जताने की कोशिश जरूर की। उन्होंने कहा कि डेमोक्रेटिक पार्टी में अब सैंडर्स का काम तमाम हो चुका है। बिडेन के लिए सैंडर्स का समर्थन आधिकारिक और सहानुभूतिपूर्ण है। यह 2016 में हिलेरी क्लिंटन को दिए गए समर्थन से बहुत अलग है। सैंडर्स और बिडेन के कैंपेन में कभी आपसी कड़वाहट नहीं थी। जबकि क्लिंटन के साथ ऐसा नहीं था। क्लिंटन के दिमाग में अब भी पुरानी चीजें मौजूद हैं। हाल में उन्होंने सैंडर्स के बारे में बहुत सारी बातें कहीं। वो यहां तक बोल गईं कि सैंडर्स को कोई पसंद नहीं करता।
बिडेन और सैंडर्स के बीच माहौल खुशनुमा है। दोनों ने माना है कि कुछ चीजों पर दोनों के बीच अलगाव है, लेकिन वे एक लंबे वक्त से दोस्त हैं। सैंडर्स ने कहा, 'मैं जानता हूं कि आप एक समावेशी रुझान रखने वाले व्यक्ति हैं। आप उन लोगों को भी साथ लेना चाहते हैं, जो आपसे असहमत हैं। आप उनकी बात सुनना चाहते हैं। हम तर्क कर सकते हैं। यही लोकतंत्र कहलाता है। आप लोकतंत्र में यकीन रखते हैं। मैं भी रखता हूं। चलिए एक-दूसरे का सम्मान करते हैं। मौजूदा दौर और भविष्य की चुनौतियों का मिलकर सामना करते हैं। जो, मैं आपके साथ भविष्य में सहयोग करने के लिए उत्सुक हूं।’ जो बिडेन ने भी ऐसी ही गर्मजोशी की झलक पेश की। अगर बहुलतावादी लोकतंत्र का विश्लेषण किया जाए, तो हम पाएंगे कि जिसने भी चुनाव जीता है, उसने अपने सबसे करीबी विपक्षी को गठंबधन में जगह देकर राजनीतिक एजेंडे में बात रखने का अहम जरिया दिया है। दोनों ने करीब 6 कार्य समूहों का गठन किया है, ताकि एक-दूसरे के साथ विदेश नीति समेत अलग-अलग मुद्दों पर बेहतर तालमेल बना पाएं। नामांकन जीतने जा रहे बिडेन के लिए यह करना जरूरी नहीं था। लेकिन उन्होंने ऐसा किया। वैसे भी बिडेन के सीनेटर इतिहास से पता चलता है कि वे किसी दूसरे के नुकसान से खुद का फायदा नहीं निकालते।
बिडेन, समझौतों और रियायतों के जरिए खाई पाटने में बहुत कुशल हैं। वह सीनेट में गठबंधन बनाकर विधायी काम को कराने के लिए प्रसिद्ध रहे हैं। इसी विशेषता ने बराक ओबामा का ध्यान उनकी तरफ खींचा था। उनके समझौतावादी व्यवहार और गठबंधन की राजनीति ने उन्हें सैंडर्स के ऊपर बढ़त दिलाई है। जिन कार्य-समूहों का प्रस्ताव दिया गया, उनके जरिए सैंडर्स के नए विचारों की पहुंच बिडेन तक बनेगी, सैंडर्स के लोग बिडेन के कैंपेन और एजेंडे को आकार देने में मदद करेंगे। बिडेन वाम धारा के लोगों से अपनी हार के साथ समन्वय बनाने के लिए कह सकते थे। लेकिन उन्होंने संकेत दिया कि वे वाम धड़े के साथ समझौता करने के लिए तैयार हैं, उनकी समझौतावादी राजनीति एक मौका है जिससे वाम धड़ा अपनी नीतियों को प्रभाव बना सकता है।
दूसरे शब्दों में कहें तो बिडेन ने वामपंथियों को अपने गठबंधन में मिला लिया है। सहयोग के बदले वह उन्हें ठोस रियायतें और प्रभावी पद देने के लिए तैयार हैं। बिडेन जानते हैं कि सैंडर्स ने एक पूरी अमेरिकी पीढ़ी की उम्मीदें बांध रखी हैं। उन्होंने जनता को बड़ा सोचने और ज्यादा मांग करने के लिए प्रेरित किया है। सैंडर्स के तेज-तर्रार कैंपेन से पता चला है कि अमेरिकी जनता का एक बड़ा धड़ा उनके विचारों के लिए तैयार है। सैंडर्स भले ही व्हाइट हाउस न पहुंच पाएं, लेकिन उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी को जरूर बदल दिया है।
बड़ा सवाल यह है कि सैंडर्स के समर्थक किस हद तक बिडेन के साथ जाने के लिए तैयार होंगे। सैंडर्स ने डोनाल्ड ट्रम्प को हराने की अहमियत बताते हुए एकता की अपील की है। उन्होंने ट्रम्प को आधुनिक अमेरिकी इतिहास का सबसे खतरनाक राष्ट्रपति करार दिया है। 2016 में सैंडर्स के समर्थक बड़ी संख्या में हिलेरी क्लिंटन के खेमे में चले गए थे (तकरीबन 80 फीसदी)। लेकिन 12 फीसदी ने ट्रम्प को वोट दिया था। वहीं 12 फीसदी वोटर्स अहम भी साबित हुए। आखिर विस्कोंसिन, मिशिगन और पेंसिलवेनिया में जीत का अंतर काफी कम रहा था। सैंडर्स की अपील के बाद बड़ी संख्या में समर्थकों के बिडेन के पक्ष में जाने की संभावना है, लेकिन फिर भी कुछ लोग उस तरफ नहीं खिचेंगे। यह लोग कुछ राज्यों में नतीजों को प्रभावित करने में सक्षम हैं। तस्वीर अभी काफी धुंधली है।
सर्वे में ट्रम्प से आगे बिडेन
29 मार्च को वाशिंगटन पोस्ट के सर्वे से पता चला है कि 80 फीसदी सैंडर्स के समर्थक बिडेन के पक्ष में मतदान करेंगे। लेकिन 15 फीसदी का एक भारी हिस्सा ट्रम्प के लिए भी मतदान करेगा। अगर 2016 में सैंडर्स के 12 फीसदी मतदाता ट्रम्प को चुनाव जिता सकते हैं, तो मौजूदा परिस्थितियों में सैंडर्स के 15 फीसदी मतदाता बिडेन के लिए बहुत चिंता का विषय हैं। लेकिन फिर 2009 का चुनाव भी याद आता है। तब हिलेरी क्लिंटन के 15 फीसदी मतदाताओं ने रिपब्लिकन कैंडिडेट जॉन मैक्केन को वोट दिए थे, लेकिन तब भी बराक ओबामा चुनाव जीत गए थे। इसमें कोई शक नहीं कि पाला बदलने वालों के हिस्से को बेहद छोटा रखने के लिए बिडेन बहुत कोशिश कर रहे हैं। यह सैंडर्स के साथ उनके हालिया व्यवहार से भी झलक रहा है। यह बात भी उनके एजेंडे पर सकारात्मक प्रभाव डालेगी। लेकिन ट्रम्प भी सैंडर्स के मतदाताओं को अपने पाले में करने की कोशिश करेंगे। वह उनके पाले से आए हुए लोगों का पलकें बिछाकर स्वागत करेंगे। क्योंकि इस महामारी के दौर में वो राष्ट्रीय औसत में बिडेन से 6 अंकों से पीछे चल रहे हैं। वहीं एबीसी/पोस्ट के सर्वे में बिडेन को दो अंकों की ही बढ़त बताई गई है।
- अक्स ब्यूरो