अस्तित्व के लिए संघर्ष
03-Apr-2020 12:00 AM 1158

अपनी खोई हुई स्थिति को फिर से पाने के लिए आईएसआईएस ने हाल ही में अपनी महिला टुकड़ी का इस्तेमाल करते हुए सीरिया के अल होल कैंप स्थित हसाका में आगजनी और श्रृंखलाबद्ध हिंसा को अंजाम दिया। यह एक निराशा भरा और बिना सोचा-विचारा गया कदम था। हिंसा के परिणाम स्वरूप दो बच्चों की मौत हो गई और कई महिलाओं को गंभीर चोंटें आईं जिनमें ज्यादातर घायल बच्चों की मां थीं। इस हमले के दो मकसद थे। पहला, महिलाओं पर कथित ज्यादतियों के बहाने नाटो बलों की छवि खराब करना और दूसरा, दुनियाभर में इस्लामी खलीफा के विश्वासियों की सहानुभूति प्राप्त करना। लेकिन इस घटना से आईएसआईएस के हमदर्दों में उसके प्रति कोई सहानुभूति नहीं पनपी। इसके विपरीत, सीरियाई बलों की समय पर कार्रवाई से, संगठन की योजना समय से पहले ही ध्वस्त हो गई। इसे दूसरा झटका तब लगा जब, आईएसआईएस के धार्मिक नेता और उपदेशक, जिसे शफिया अल-नामा उर्फ अबु अब्द-अल बारी नाम से जाना जाता है, को स्थानीय नागरिकों की मदद से मोसुल से गिरफ्तार किया गया। वह विद्वानों को कैद-फांसी देने से संबंधित क्रूर फतवों, 2014 में जोनाह की कब्र पर बमबारी, उत्तेजक भाषण देने और सांस्कृतिक विरासत को नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार माना जाता है। स्थानीय लोगों की मदद से उसकी गिरफ्तारी से पता चलता है कि क्षेत्र में आईएसआईएस की स्वीकार्यता घटी है और लोकप्रियता में कमी आई है।

सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह आईएसआईएस कैडर के लिए एक बड़ा झटका है, जो अपने संस्थापक और प्रमुख रहे अल बगदादी की हत्या के बाद से अपने एजेंडे को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इसी से संबंधित एक और घटना में फिलिस्तीन ने अमेरिकी शांति समझौते की निंदा की। आईएसआईएस इसे पूरी दुनिया में यहूदियों को लक्षित कर खुद को पुनर्जीवित करने के लिए नए अवसर के रूप में देख रहा है। फिलिस्तीन का समर्थन करके आईएसआईएस का नया नेतृत्व मीडिया का ध्यान खींचने के साथ फिलिस्तीनियों का भी सहयोग हासिल करना चाहता है। साथ ही वह इस बात का प्रचार करना चाहता है कि विश्व के बड़े हिस्से में उसका प्रभाव है और यहूदियों से सहानुभूति रखने वालों पर रासायनिक हथियारों का उपयोग कर दुनियाभर में यहूदियों के खिलाफ जिहाद छेड़ना चाहिए। शुरू में इस तरह के आक्रामक प्रचार को वास्तविकता के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन भविष्य में इस गुब्बारे के फूटने के पूरे आसार हैं।

यहां एक बात महत्वपूर्ण है। आईएसआईएस जहां भी अपनी मौजूदगी दर्ज कर रहा है, वहां जनता ने उसकी आतंकवादी गतिविधियों की तीखी आलोचना की है। पश्चिमी अफ्रीका के लोगों का अब उस संगठन की विचारधारा से मोहभंग हो रहा है, क्योंकि आईएसआईएस के पश्चिम अफ्रीका प्रांत (आईएसडब्लूएपी) नामक संगठन ने अफ्रीका के बुर्किना फासो, नाइजीरिया और साहेल क्षेत्र में भीषण हमले किए थे। इस हमले में सैकड़ों लोग मारे गए थे। दुनिया के अन्य हिस्सों में अपनी उपस्थिति, ताकत और गढ़ पर कब्जा दिखाने की आईएसआईएस की चाल का परिणाम, संगठन के लिए पूरी तरह विफल रहा है। साथ ही जनता की हतोत्साहित करने वाली प्रतिक्रिया की वजह से भी इसे भारी झटका लगा है। यही वजह है कि आईएसआईएस की गतिविधियों में गिरावट आ रही है। इसलिए अब आईएसआईएस के वीभत्स चेहरे को हटाने के लिए नए सिरे से आक्रामक होने की जरूरत है।

इस बीच, एक गैर-कुरैश 'आमिर मोहम्मद अब्दुल रहमान अल-मावली अल-सल्बी’ को नया आईएस नेता नियुक्त किया गया। चर्चा है कि यह वही अब्दुल्ला कर्दाश है जो अक्टूबर 2019 में मारा गया था। इस संगठन के दूसरे लोगों में असंतोष बढ़ गया है। इससे भविष्य में संगठन पर गंभीर असर हो सकता है, क्योंकि माना जाता है कि कुरैशी जनजाति का कोई व्यक्ति ही अपने समुदाय (उम्माह) का नेतृत्व कर सकता है।

आईएस के खातों पर अंकुश लगने से भी संगठन की स्थिति कमजोर हो रही है। इसमें नए कैडर की भर्ती में गिरावट आ रही है। अब आईएस को जिहादी प्रचार जारी रखने में भी परेशानी आ रही है। यह जिहादी प्रचार को गुमनाम तरीके से जारी रखने के लिए सभी प्रयास कर रहा है। इसे महत्वपूर्ण घटनाक्रम के रूप में देखा जा सकता है। आईएस की टेक्नोलॉजी इकाई एएफएक्यू (इलेक्ट्रॉनिक होराइजंस फाउंडेशन) नई वेबसाइट और नए दिशा-निर्देश, वीडियो उपलब्ध करा रही है। यह बता रही है कि रॉयट्स, कनवर्सेशन, थ्रीमा, टम-टम, टेलीग्राम, मस्टोडोन, मीवी, ब्लॉक चेन मैंसेजर (बीसीएम), माइंड्स, नंदबॉक्स, पिंगल, हूप, लाइकी, टिक-टॉक, मैट्रिक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को कैसे ठीक ढंग से इस्तेमाल करें। इसके अलावा ये सोशल मीडिया पर फेक अकाउंट के बारे में सचेत भी कर रहे हैं।

आईएसआईएस पतन की ओर

जमीनी समर्थन में कमी और हाल ही में टेलीग्राम द्वारा आईएस खातों को अलग-थलग करने के कारण, आईएसआईएस अपने अस्तित्व को बचाए रखने के महत्वपूर्ण चरण से गुजर रहा है। फिलहाल वह इस स्थिति में नहीं है कि 12 अलग-अलग एप पर करीब 300 चैनल्स, समूहों, चैट आदि को जारी रख सके। यहां यह बताना उचित होगा कि नवगठित आईएसडब्ल्यूएपी को नाइजीरिया के बोर्नो-माली के स्थानीय लोगों की तरफ से बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के कारण नुकसान उठाना पड़ा है। सुरक्षा बलों ने भी इस क्षेत्र में उनके खिलाफ लड़ाई लड़ी है। दूसरे शब्दों में कहें तो लोगों ने आईएसडब्ल्यूएपी के गेम प्लान को समझ लिया है। यह भी उल्लेखनीय है कि इस्लामिक खलीफा की स्थापना के नाम पर साइबर स्पेस में अपने आक्रामक प्रचार के बावजूद आईएसकेपी अफगानिस्तान में विलुप्त होने के कगार पर है। हाल ही में, कुनार प्रांत के रूप में एक मजबूत क्षेत्र भी उसके हाथ से निकल गया है। 

-  बिन्दु माथुर

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