03-Sep-2020 12:00 AM
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मप्र में सरकार की कोशिश है कि दिसंबर 2024 तक भोपाल और इंदौर में हर हाल में मेट्रो रेल का संचालन शुरू हो जाए। इसके लिए सरकार ने अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दे दिए हैं। वहीं प्रोजेक्ट को गति प्रदान करने के लिए मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कंपनी लिमिटेड का नाम अब मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड में परिवर्तित कर दिया गया है। सरकार को उम्मीद है कि कॉरपोरेशन बनने से मेट्रो प्रोजेक्ट के कार्य में गति आएगी और प्रोजेक्ट समय पर पूरा हो जाएगा। इसलिए गत दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आयोजित मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कंपनी लिमिटेड के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की बैठक में कॉरपोरेशन के गठन को हरी झंडी दी गई। कंपनी को बोर्ड बनाए जाने के संबंध में भारत सरकार, मध्यप्रदेश सरकार एवं मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कंपनी लिमिटेड के बीच 19 अगस्त 2019 को त्रिपक्षीय एमओयू साइन किया गया था।
मुख्यमंत्री चौहान ने बैठक में निर्देश दिए कि इस संबंध में आगामी कार्यवाहियां तत्परता के साथ पूर्ण की जाएं, जिससे प्रदेश के इंदौर-भोपाल शहरों में मेट्रो रेल के कार्य को गति प्रदान कर लक्षित समय 3 से 4 वर्ष में पूर्ण किया जा सके। बैठक में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, प्रमुख सचिव वित्त मनोज गोविल, कंपनी के एमडी नीतेश व्यास उपस्थित थे। एमडी नीतेश व्यास ने बताया कि त्रिपक्षीय समझौते के अनुसार भारत सरकार एवं मध्यप्रदेश सरकार की प्रोजेक्ट में बराबर भागीदारी के लिए बनाए जा रहे नए बोर्ड में भारत सरकार के 5 संचालक तथा मध्यप्रदेश सरकार के 5 संचालक (प्रबंध संचालक सहित) शामिल होंगे। मध्यप्रदेश सरकार के नगरीय विकास के आयुक्त इसके प्रबंध संचालक होंगे तथा प्रमुख सचिव वित्त, राजस्व, लोक निर्माण विभाग तथा नगरीय विकास विभाग इसके संचालक होंगे। अब ज्वाइंट वेंचर कंपनी में नया बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स काम शुरू करेगा।
मेट्रो रेल के निर्माण के लिए भारत सरकार के मेट्रो रेल अधिनियमों के अंतर्गत मेट्रो निर्माण क्षेत्र को मेट्रोपोलिटन क्षेत्र घोषित किया जाना आवश्यक है। इस संबंध में बैठक में इंदौर एवं भोपाल मेट्रो क्षेत्रों को मेट्रोपोलिटन क्षेत्र घोषित किए जाने संबंधी कार्रवाई किए जाने का निर्णय लिया गया। प्रदेश से वित्त, पीडब्ल्यूडी, राजस्व व नगरीय प्रशासन के प्रमुख सचिव इसके डायरेक्टर होंगे। मेट्रो रेल कॉरपोरेशन में केंद्र और राज्य की 50-50 हिस्सेदारी होगी। मेट्रो के लिए स्वतंत्र इकाई के रूप में अन्य प्रशासनिक निर्णय लेने के लिए इस बोर्ड का गठन जरूरी था।
गौरतलब है कि पूर्व में हुई बैठक में मुख्यमंत्री ने अफसरों को साफ-साफ शब्दों में कह दिया था कि चाहे जो भी हो दिसंबर 2024 तक भोपाल और इंदौर में मेट्रो रेल के दौड़ने के लिए तय मार्गों का कार्य पूरा हो जाना चाहिए। नागपुर में मेट्रो का काम कैसे जल्दी हुआ? वहां जाइए अध्ययन करिए। जमीन अधिग्रहण करने की प्रक्रिया फटाफट पूरी करें। गुणवत्ता के साथ काम किया जाए। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद मेट्रो निर्माण क्षेत्र में काम तेजी से शुरू हो गया है। भोपाल और इंदौर में मेट्रो रूट पर रात-दिन कार्य हो रहे हैं। निर्माणकर्ता कंपनी को प्रशासन ने निर्देश दे दिया है कि तय सीमा से पहले कार्य पूरा होना चाहिए। उल्लेखनीय है कि भोपाल और इंदौर में 14,442 करोड़ 20 लाख रुपए की लागत से मेट्रो प्रोजेक्ट पूरा किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के तहत भोपाल में 6941 करोड़ 40 लाख रुपए खर्च होने हैं। वहीं इंदौर में 7500 करोड़ 80 लाख रुपए खर्च किए जाने हैं। प्रोजेक्ट के लिए प्रदेश सरकार ने अब 248 करोड़ 96 लाख रुपए तथा केंद्र सरकार ने 245 करोड़ 23 लाख की राशि दी है। प्रोजेक्टर पर अभी तक 138 करोड़ 58 लाख रुपए खर्च किए जा चुके हैं। अभी तक मेट्रो निर्माण का काम धीमी गति से चल रहा था, लेकिन अब काम तेजी से हो रहा है।
मेट्रो प्रोजेक्ट में अब तक क्या-क्या हुआ
12 जनवरी 2017 को मध्यप्रदेश सरकार की स्वीकृति के बाद भोपाल-इंदौर मेट्रो रेल प्रोजेक्ट का काम मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कंपनी लिमिटेड ने शुरू कर दिया था। भोपाल-इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट को 11 सितंबर 2018 को पब्लिक इन्वेस्टमेंट बोर्ड (पीआईबी) और 3 अक्टूबर 2018 को केंद्रीय कैबिनेट की स्वीकृति मिली। 19 अगस्त 2019 को भारत सरकार, मध्यप्रदेश सरकार और मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कंपनी लिमिटेड के बीच त्रिपक्षीय समझौता हुआ। 14 सितंबर 2019 को इंदौर मेट्रो रेल प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी गई। 26 सितंबर 2019 को भोपाल मेट्रो रेल प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी गई। 4 नवंबर 2019 को यूरोपियन इन्वेस्टमेंट बैंक ने भोपाल मेट्रो के लिए ऋण (कुल प्रस्ताव-3493.34 करोड़ रुपए) मंजूर किया और 10 दिसंबर 2019 को इस संबंध में वित्तीय समझौता हुआ। 2 दिसंबर 2019 को न्यू डेवलपमेंट बैंक ने इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए ऋण (कुल प्रस्ताव- 3 हजार 200 करोड़ रुपए) मंजूर किया। 22 दिसंबर 2017 को मेसर्स डीबी इंजीनियरिंग एंड कंसलटिंग जीएमबीएच (जर्मनी) और उसकी सहयोगी कंपनियों मेसर्स लूईस बर्गर एसएएस (यूएसए) और मेसर्स जियो डाटा इंजीनियरिंग एसपीए (इटली) को प्रोजेक्ट का जनरल कंसलटेंट बनाया गया। 1 नवंबर 2018 को भोपाल और इंदौर मेट्रो के पहले सिविल कार्य के लिए कॉन्ट्रेक्ट एग्रीमेंट किया गया। इसके अनुसार भोपाल मेट्रो के अंतर्गत 247 करोड़ 6 लाख रुपए की लागत से 6.22 किलोमीटर लंबी वायाडक्ट (रेलवे पुल) और इंदौर मेट्रो कार्य के अंतर्गत 228 करोड़ 96 रुपए की लागत से 5.29 किलोमीटर लंबे वायाडक्ट (रेलवे पुल) बनाए जाएंगे।
- विकास दुबे