राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने केरल और पश्चिम बंगाल से अलकायदा के लिए काम करने वाले नौ लोगों को गिरफ्तार कर एक बड़ी अनहोनी टाल दी है। ये लोग राजधानी दिल्ली सहित कई शहरों को धमाकों से दहलाने की साजिश रच रहे थे। लेकिन ठोस सूचनाओं के आधार पर एनआईए ने जिस तरह की सतर्कता दिखाई, उससे आतंकी हमलों की साजिश विफल हो गई। यह पहला मौका नहीं है जब अलकायदा के आतंकी पकड़े गए हों। इससे पहले भी अलकायदा, इस्लामिक स्टेट और अन्य आतंकी संगठनों के लिए काम करने वाले पकड़े जाते रहे हैं। स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और त्यौहारी मौकों पर ऐसे हमलों के खतरे बढ़ जाते हैं। इन गिरफ्तारियों से एक बात तो यह साफ हो गई कि आतंकियों का नेटवर्क पूरे भारत में फैल चुका है और ये गुपचुप तरीके से अपनी गतिविधियों को अंजाम देने की कोशिशों में लगे हैं। पश्चिम बंगाल, केरल, झारखंड, उत्तर प्रदेश, कश्मीर ऐसे ही राज्य हैं जहां आतंकी नेटवर्क सक्रिय हैं।
इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत में आतंकी हमलों की ऐसी साजिशों के पीछे पाकिस्तान है। एनआईए ने जिन लोगों को पकड़ा है, उन्होंने पूछताछ में इस बात का खुलासा किया है कि वे पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं के इशारे पर काम कर रहे हैं। पाकिस्तान ऐसा लंबे समय से करता आ रहा है। वह भारत में गरीब और बेरोजगार नौजवानों को अपने जाल में फंसाकर उन्हें प्रलोभन देता है और फिर प्रशिक्षण देकर उन्हें आतंकी हमलों के लिए तैयार करता है। अलकायदा और आईएस के लिए पाकिस्तान बड़ा ठिकाना बन चुका है, जहां से ये आतंकी संगठन भारत सहित कई देशों में अपनी गतिविधियों को अंजाम देते हैं। श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में पिछले साल ईस्टर के मौके पर चर्च और पांच सितारा होटल पर हुए आतंकी हमले में 250 से ज्यादा लोग मारे गए थे और हजारों घायल हो गए थे। इस हमले में भी आईएस और अलकायदा के हाथ की पुष्टि हुई थी। पाकिस्तान आईएस और अलकायदा से ऐसे ही हमले भारत पर कराने की कोशिशें कर रहा है। कश्मीर के मुद्दे पर भारत के खिलाफ लड़ाकू अभियानों में पाकिस्तान इन आतंकी संगठनों के लड़ाकों को इस्तेमाल करता रहा है।
खुफिया जानकारियां बता रही हैं कि अलकायदा ने पश्चिम बंगाल में अपनी जड़ें मजबूत कर ली हैं। इसका बड़ा कारण बांग्लादेश के रास्ते आतंकियों की घुसपैठ है। अगर वाकई ऐसा है तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है। ज्यादा गंभीर बात तो यह है कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने खुद कहा है कि राज्य अवैध बम बनाने का अड्डा बन चुका है और कानून व्यवस्था की रक्षा करने वाला तंत्र नाकाम साबित हो रहा है। हालांकि यह खेद का विषय है कि आतंकियों के गिरफ्तारी के बाद राजनीतिक दलों में आरोप-प्रत्यारोप के दौर शुरू हो गए और आतंकी नेटवर्क के विस्तार के लिए एक दूसरे को दोषी ठहराया जा रहा है।
कानून और व्यवस्था राज्यों का विषय होता है। ऐसे में पहली जिम्मेदारी राज्य सरकारों की बनती है कि वे अपने खुफिया तंत्र को मजबूत रखें और ऐसे नेटवर्क के प्रसार को रोकें। अगर सीमाओं से घुसपैठ हो रही है तो निश्चित ही यह हमारी ओर से बड़ी कमी है कि हम घुसपैठियों को रोक नहीं पा रहे हैं। ऐसी कमियों को केंद्र और राज्य मिलकर दूर कर सकते हैं। आतंक के खिलाफ सबको मिलकर लड़ने की जरूरत है, न कि ऐसे अवसरों को भुनाने की।
खुफिया विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, आईएसआईएस ने 2014 के बाद से सीरिया और इराक के अधिकांश हिस्सों पर नियंत्रण स्थापित कर बांग्लादेश, माली, सोमालिया और मिस्र जैसे देशों में उसकी शाखाएं स्थापित कर लिया है। भारत में अपनी विचारधारा को फैलाने के लिए वह लश्कर-ए-तैयबा, अलकायदा, जैश और सिमी जैसे अन्य आतंकी संगठनों के साथ काम कर रहा है। मप्र सहित देशभर में युवाओं को बरगलाने के लिए इस्लामिक स्टेट इंटरनेट आधारित विभिन्न सोशल मीडिया मंचों का इस्तेमाल कर रहा है। इसे देखते हुए संबद्ध एजेंसियां साइबर स्पेस की सतत् निगरानी कर रही हैं। सरकार के पास सूचना है कि इन लोगों को वित्त कैसे मुहैया कराया जा रहा है और अपनी आतंकी गतिविधियों को संचालित करने के लिए उन्हें विदेशों से कैसे मदद मिल रही है।
ऐश और कैश से लुभा रहे युवाओं को
खुफिया विभाग के एक अधिकारी कहते हैं कि आतंकी अभी तक मप्र को अपनी शरणस्थली के तौर पर इस्तेमाल करते थे लेकिन अब इनके मंसूबे यहां के युवाओं को बरगलाकर देश में बड़े पैमाने पर धमाके कराने के साथ इन्हें अपने संगठनों में शामिल करना भी है। इसके लिए आईएसआईएस में सिमी के प्रभाव वाले क्षेत्रों इंदौर, उज्जैन, धार, खंडवा, बुरहानपुर, शाजापुर, जबलपुर के अलावा सतना, रीवा, कटनी, बालाघाट और ग्वालियर-चंबल अंचल में अपनी पैठ बना रहा है। इसके लिए युवाओं को ऐश और कैश से लुभाया जा रहा है। गौरतलब है कि पूर्व के वर्षों में मप्र में आतंकी संगठनों से जुड़े कई नेटवर्क के खुलासे हो चुके हैं। राजधानी भोपाल में भी एक बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश हो चुका है। लेकिन प्रदेश की खुफिया एजेंसियां यहां पैठ जमा रहे आतंकी संगठनों की टोह नहीं ले पाती हैं। सूत्रों के मुताबिक अपनी जड़े मजबूत करने के लिए आईएसआईएस के निशाने पर ज्यादातर धार्मिक तालीम हासिल करने वाले युवा हैं। बताते हैं कि आतंकी गतिविधियों में जुड़े लोग अपने संगठन से युवाओं को जोड़ने के लिए दावत खिलाते हैं और इस दौरान वह आतंकी ट्रैनिंग से जुड़ी वीडियो और ऑडियो के साथ पाक में बैठे कई आतंकियों की धार्मिक स्पीच सुनाकर भी उन्हें अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। मप्र पुलिस के खुफिया विभाग के एक अधिकारी कहते हैं कि प्रदेश में केवल आईएसआईएस ही नहीं बल्कि जैश, अलकायदा, एक्यूआईएस के साथ ही सिमी भी सक्रिय है।
- नवीन रघुवंशी