आरे बचाया
20-Oct-2020 12:00 AM 1071

 

उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई की आरे कॉलोनी में प्रस्तावित, विवादास्पद मेट्रो कार डिपो को दूसरी जगह ले जाने का फैसला करके, कई वर्षों से चली आ रही अनिश्चितता पर विराम लगा दिया है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए राज्य को संबोधित करते हुए, मुख्यमंत्री ठाकरे ने कहा कि अंडरग्राउंड कोलाबा-बांद्रा-एसईईपीजेड मेट्रो के लिए, कार डिपो को गोरेगांव की आरे कॉलोनी से हटाकर, कांजुरमार्ग ले जाया जाएगा। आरे कॉलोनी को मुंबई की हरियाली का फेफड़ा कहा जाता है। ठाकरे ने कहा, 'इस बारे में बहुत सारे सवाल हैं, कि इसका लागत पर क्या असर पड़ेगा, और प्रोजेक्ट पर जो पैसा पहले ही खर्च हो चुका है उसका क्या। मैं इन सबका जवाब दूंगा। कांजुरमार्ग की जमीन राज्य सरकार की मिल्कियत है, और इसे जीरो लागत पर प्रोजेक्ट के लिए दिया जाएगा।Ó उन्होंने आगे कहा, 'आरे में जमीन के भराव और एक बिल्डिंग बनाने में, 100 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। उस बिल्डिंग का इस्तेमाल हम किसी अच्छे काम के लिए करेंगे।Ó

ठाकरे ने ये भी कहा कि सरकार ने फैसला किया है कि वन घोषित किए जाने वाले इलाके को पहले घोषित किए गए 600 एकड़ से बढ़ाकर 800 एकड़ कर दिया गया है। उन्होंने आगे कहा, 'ऐसा करने में आरे कॉलोनी में पहले से रह रहे, आदिवासियों के अधिकारों का, कोई अतिक्रमण नहीं होगा।Ó फैसले के कुछ ही घंटे बाद पर्यावरण मंत्री, और मुख्यमंत्री के बेटे आदित्य ठाकरे ने, जो पहले 'आरे बचाओÓ मुहिम चला चुके थे, दो शब्दों का ट्वीट किया- 'आरे बचाया।Ó 33.5 किलोमीटर लंबे कोलाबा-बांद्रा-एसईईपीजेड मेट्रो कॉरिडोर को कार्यान्वित कर रही राज्य सरकार की एजेंसी मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (एमएमआरसी) के अधिकारियों ने पहले कहा था कि इस स्टेज पर कार शेड को, आरे कॉलोनी से कहीं और ले जाने से परियोजना की लागत 2,000 करोड़ रुपए बढ़ जाएगी और परियोजना में देरी भी होगी।

कोलाबा-बांद्रा-एसईईपीजेड मेट्रो, शहर का पहला और अभी तक एकमात्र, पूरी तरह भूमिगत मेट्रो कॉरिडोर होगा। अभी तक, अथॉरिटीज ने परियोजना के लिए सुरंग खोदने का 80 प्रतिशत, और कुल सिविल कार्य का 60 प्रतिशत काम पूरा कर लिया है। प्रोजेक्ट की मूल अनुमानित लागत 23,136 करोड़ रुपए थी, लेकिन बार-बार देरी और आरे कार शेड में काम रुकने के कारण, ये लागत अब बढ़ाकर 32,000 करोड़ रुपए कर दी गई है। अधिकारी उम्मीद कर रहे थे कि अगले साल जून तक, वो आरे कॉलोनी से बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स तक के कॉरिडोर को आंशिक रूप से चालू कर देंगे, लेकिन अलाइनमेंट में इस नए बदलाव से अब फिर से देरी हो सकती है। आरे कॉलोनी 1949 में गोरेगांव में, 1,287 हेक्टेयर जमीन में स्थापित की गई थी। ये महाराष्ट्र के डेयरी विकास विभाग के अधिकार क्षेत्र में आती है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, आरे की कुल जमीन में से 430 हेक्टेयर जमीन राज्य और केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों और संस्थानों को आवंटित की गई है। इसके अलावा इलाके में डेयरी विभाग की 30 स्थाई इकाइयां हैं और लगभग 1,000 एकड़ के अन्य इलाके में करीब 27 आदिवासी बस्तियां हैं। जिस समय से आरे कॉलोनी में कार शेड्स का प्रस्ताव सामने आया, तभी से एमएमआरसी के प्लान के खिलाफ, पर्यावरण विदों, राजनेताओं और आम नागरिकों की ओर से विरोध की लहरें उठती रही हैं। इस योजना का प्रस्ताव पहली बार 2012 में सामने आया, लेकिन 'आरे बचाओÓ आंदोलन ने 2015 में ही जोर पकड़ना शुरू किया, जब योजना टेंडर की स्टेज पर आ गई थी, और पैसों का प्रबंध हो चुका था, जिसकी वजह से अधिकारियों ने चिंता जताई कि इस स्टेज पर किसी भी बदलाव से, समय और धन दोनों मामलों में, प्रोजेक्ट की लागत में भारी बढ़ोतरी हो जाएगी।

देवेंद्र फड़णवीस की अगुवाई वाली भाजपा-शिवसेना सरकार भी, आरे कॉलोनी में कार शेड बनाने की योजना पर आगे बढ़ना चाहती थी, हालांकि शिवसेना इसके खिलाफ थी। उसके बाद के सालों में एमएमआरसी की योजना को रुकवाने के लिए कार्यकर्ताओं ने कई अदालतों के दरवाजे खटखटाए। पिछले साल नगर निगम के वृक्ष प्राधिकरण की ओर से आरे कॉलोनी में 2,646 पेड़ काटे जाने की मंजूरी के बाद इस मामले ने फिर हवा ले ली और योजना के विरोध में व्यापक प्रदर्शन हुए। शिवसेना के नेताओं ने जिनमें आदित्य ठाकरे भी शामिल थे, इन प्रदर्शनों का समर्थन किया। पिछले साल अक्टूबर में उस जगह पर काफी ड्रामा हुआ, जब बॉम्बे हाईकोर्ट से अपने पक्ष में फैसला आने के बाद, एमएमआरसी अधिकारी आधी रात में पेट काटने पहुंच गए, जबकि कार्यकर्ता उस जगह प्रदर्शन कर रहे थे। बहुत से कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। पिछले महीने राज्य सरकार ने उन सभी पर्यावरण कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने की घोषणा कर दी, जो आरे कार डिपो का विरोध कर रहे थे।

800 एकड़ जमीन संरक्षित वन क्षेत्र घोषित

मुंबई के गोरेगांव स्थित आरे फॉरेस्ट को बचाने की मुहिम में आमजन से लेकर बॉलीवुड सितारे तक शामिल रहे हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने ऐलान किया कि आरे में मेट्रो कार शेड नहीं बनाया जाएगा। इसे संरक्षित वन क्षेत्र घोषित किया गया है। आरे की जगह अब कांजुरमार्ग में मेट्रो शेड का निर्माण होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि जगह बदलने के बाद मेट्रो शेड बनाने के खर्च में इजाफा नहीं होगा, क्योंकि सरकार के पास यहां पहले से ही जमीन है। पिछले साल सितंबर-अक्टूबर में आरे मेट्रो शेड के मामले ने तूल पकड़ लिया था, क्योंकि पर्यावरण एक्टिविस्ट इसका विरोध कर रहे थे। सरकार यहां 2700 पेड़ काटकर मेट्रो शेड बनाना चाहती थी। इसी बात को लेकर सरकार और एक्टिविस्ट आमने-सामने आ गए थे। उद्धव ठाकरे ने कहा कि मेट्रो शेड को लेकर अनिश्चितता की स्थिति अब खत्म हो चुकी है। आरे में बायोडायवर्सिटी की सुरक्षा जरूरी है। शहरी इलाके के पास यहां 800 एकड़ जंगल है। यह मुंबई का नेचुरल फॉरेस्ट कवर है। आरे में जो इमारत पहले से ही बन चुकी है, उसका इस्तेमाल किसी और सामुदायिक मकसद से किया जाएगा।

- बिन्दु माथुर

FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^