5 साल में नहीं वसूल पाए 425 करोड़
01-Sep-2022 12:00 AM 5351

 

छोटी-मोटी अनुमति, एनओसी या अनुज्ञा न होने पर बुलडोजर तानकर खड़े होने वाले अफसरों में कितना दम है, यह ग्वालियर में बिलौआ की खदानों की कहानी आपको बता देगी। पांच साल में पांच कलेक्टर बदल गए, लेकिन कोई भी नेता-मंत्री और रसूखदारों की खदानों से जुर्माना नहीं वसूल सका। फाइल तब भी चल रही थी, फाइल अब भी चल रही है। 24 खदान संचालकों ने लीज क्षेत्र के अलावा सरकारी जमीन से काले पत्थर को निकाल जमीन खोखली कर डाली। यहां डबरा सब डिवीजन में आने वाले बिलौआ क्षेत्र में 2017 में खदान संचालकों द्वारा सरकारी जमीन पर खनन करने की शिकायत हुई थी। जिसके बाद तत्कालीन एसडीएम अमनवीर सिंह ने जांच की तो शिकायत सही पाई गई। तत्कालीन कलेक्टर डॉ. संजय गोयल ने 425 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया, बस तब से वसूली नहीं हो पाई।

2016-17 में बिलौआ क्षेत्र में अवैध खनन की शिकायत हुई थी, इसी शिकायत से शुरुआत हुई और तब डबरा एसडीएम अमनवीर सिंह थे। उस समय कलेक्टर संजय गोयल ने एसडीएम डबरा को जांच के निर्देश दिए। जांच में सामने आया कि बिलौआ-रफादपुर क्षेत्र में जो 24 खदानें हैं, वह अपने लीज क्षेत्र को छोड़कर सरकारी भूमि पर भी खनन कर रहीं हैं। इसके बाद जांच प्रतिवेदन के बाद तत्कालीन कलेक्टर ने आंकलन के आधार पर 24 खदान संचालकों पर 425 करोड़ का जुर्माना प्रस्तावित किया। इसके खदान संचालकों में हड़कंप मच गया और सभी अपना-अपना पक्ष सामने रखने लगे। इसके बाद कलेक्टर गोयल का तबादला हो गया और इसके बाद अगले कलेक्टर राहुल जैन आए, इनके कार्यकाल में भी कार्रवाई चलती रही। इसके बाद अशोक वर्मा और भरत यादव आए लेकिन इनका कार्यकाल ज्यादा समय नहीं रहा था। इसके बाद कलेक्टर अनुराग चौधरी आए, जिन्होंने इस मामले की पड़ताल कराई। इनके कार्यकाल में पूर्व मंत्री इमरती देवी ने खदानों के कारण प्रदूषण फैलने को लेकर आपत्ति की, जिसके बाद 23 खदानों को बंद कर दिया गया। कुछ समय बाद इन्हें खोल दिया गया।

गौरतलब है कि बिलौआ में मुनेंद्र मंगल, धर्मेंद्र सिंह गुर्जर, राजेश नीखरा, सरदार सिंह गुर्जर, केके जैन, मनोहर भल्ला, रामनिवास शर्मा, आरसी जैन, प्रतीक खंडेलवाल, अशोक यादव, एसपी जैन, राजीव लोचन शर्मा, विनीता यादव पत्नी दिवंगत उत्तम सिंह, वीरेंद्र गुप्ता, मनोहरलाल गुप्ता, सुनील शर्मा, मनोरमा तोमर, वीरेंद्र सिंह, बच्चन सिंह, मनीष गुप्ता की खदानें हैं।

इस मामले में जिला प्रशासन के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि छोटे-मोटे मामलों में तत्काल जोर-शोर से कार्रवाई करने वाले प्रशासन को खनन माफिया क्यों नहीं दिखता है। बिलौआ में सवा चार सौ करोड़ का जुर्माना पड़ा हुआ है, इसे वसूला नहीं जा रहा है, इतनी मेहरबानी आखिर क्यों की जा रही है। इससे यही माना जा रहा है कि यह बड़े लोगों, रसूखदारों व नेताओं की खदानें हैं इसलिए जुर्माना वसूलने की हिम्मत नहीं है।

हालांकि पांच साल से एक के बाद एक बदले कलेक्टरों के कोर्ट ने जिन बिलौआ-रफादपुर की फाइलों से धूल नहीं हटाई थी, गत दिनों कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने कलेक्टर कोर्ट में चल रहीं 425 करोड़ के जुर्माने की फाइलों में छह केसों में 60 करोड़ से ज्यादा का जुर्माना अधिरोपित कर आदेश जारी कर दिए। जिले के डबरा अनुविभाग के अंतर्गत रफादपुर बिलौआ क्षेत्र में इन क्रेशर आधारित खदान संचालकों ने स्वीकृत लीज के बाहर सरकारी जमीन पर अवैध उत्खनन कराया था। यह जांच वर्ष 2017 में डबरा के तत्कालीन एसडीएम अमनवीर सिंह बैंस ने कराई थी। इस जांच रिपोर्ट में यह उल्लेख था कि खदान संचालकों ने स्वीकृत लीज से बाहर खनन कर सरकार को राजस्व की हानि पहुंचाई है। इस जांच के आधार पर खनिज विभाग ने कलेक्टर न्यायालय में मामले दायर किए थे। विधिवत सुनवाई की प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद कलेक्टर न्यायालय ने यह आदेश जारी किए।

इंदौर में भूमाफियाओं के हौंसले बुलंद

शासन-प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद इंदौर में भूमाफियाओं के हौंसले बुलंद हैं। नया मामला भांग माफियाओं का सामने आया है। इसकी कड़ियां खुलना बाकी हैं। इंदौर में पिछले एक साल (अगस्त 2021 से अगस्त 2022 तक) में जिला प्रशासन ने 124 केस अलग-अलग तरह के माफियाओं के खिलाफ दर्ज करवाए हैं। इनमें 330 लोगों को आरोपी बनाया गया। कई जेल गए तो कई जेल से बाहर भी आ गए। इन सब कार्रवाई के बावजूद हर माह 300 से ज्यादा शिकायतें माफियाओं से ठगे जाने की सामने आ रही हैं। अवैध खनन, नकली दवाओं, राशन माफियाओं, मिलावट माफियाओं के अलावा सबसे ज्यादा संख्या भूमाफियाओं की है। जिन चंपू-चिराग के खिलाफ प्रशासन ने जमीन घोटालों की जांच शुरू की थी, उनमें से 53 प्रतिशत पीड़ितों को ही अब तक न्याय मिला है। दूसरी ओर राशन माफियाओं के घोटाले जरूर कम हुए हैं। हालांकि यह काम पहली बार नहीं हुआ है, लेकिन अभी भी नागरिक ठगे जा रहे हैं। अधिकारी मानते हैं कि हम अलर्ट कर सकते हैं, कार्रवाई कर सकते हैं, लेकिन ऐसे कई माफिया हैं जो माल बेचकर बाहर हो गए, अब उन्हें जेल तो भेजा जा सकता है, लेकिन वास्तविक समाधान मिलना भी जरूरी है। जानकारी के मुताबिक सीएम हेल्पलाइन पर जो हर महीने 15 से 17 हजार शिकायतें आती हैं, उनमें 300 से ज्यादा शिकायतें किसी न किसी माफिया से ठगे जाने की हैं। एडीएम डॉ. अभय बेड़ेकर के मुताबिक हमने खनन, मिलावट, राशन माफियाओं और भूमाफियाओं पर कार्रवाई की है। हमारा मकसद इन्हें एफआईआर करवाकर जेल भिजवाने के अलावा आम लोगों को राहत दिलवाना है। प्रशासनिक आंकड़ों को देखें तो भूमाफियाओं के बाद सबसे ज्यादा आरोपी राशन घोटालों में सामने आए हैं।

- लोकेंद्र शर्मा

FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^