नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली पूर्व सरकार द्वारा मंजूर किए गए कुछ प्रोजेक्ट्स पर सवाल उठाकर फडणवीस के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। कैग की रिपोर्ट में मेट्रो, इंटरनेशनल एयरपोर्ट के काम में देरी के लिए अनुबंध देने में दिशा-निर्देशों के उल्लंघन का भी हवाला दिया गया है। कैग ने अपनी छानबीन में पाया कि नेरुल-उरण रेलवे परियोजना और नई मुंबई मेट्रो रेल परियोजना की कार्यान्वयन के लिए पूरी योजना नहीं बनाई गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि नई मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे और नई मुंबई मेट्रो रेल परियोजनाओं की निविदा के विज्ञापन किसी अंतर्राष्ट्रीय पब्लिकेशन में नहीं दिए गए। 50 करोड़ रुपए खर्च कर 16 टेंडर निकाले गए लेकिन राष्ट्रीय स्तर के बड़े अखबारों में यह प्रकाशित नहीं की गई, यह तय नियमों का उल्लंघन है। जिन छह ठेकेदारों को 890.42 करोड़ रुपए के काम दिए गए, उनके पास इस तरह के काम के लिए जरूरी अनुभव नहीं था।
महाराष्ट्र विधानसभा में कैग की रिपोर्ट को पेश करते हुए उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने पिछली सरकार के कुछ इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में हुई गड़बड़ियों के लिए फडणवीस को कटघरे में खड़ा किया है। कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, शहरी और औद्योगिक विकास प्राधिकरण (सिडको) के करीब 2000 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स में अनिमियताएं पाई गईं। महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री पवार का आरोप है कि नवी मुंबई में बनने वाले इंटरनेशनल एयरपोर्ट, नेरुल-उरण रेलवे लाइन और नवी मुंबई रेल प्रोजेक्ट में कुछ कथित गड़बड़ियां पाई गईं। सिडको महाराष्ट्र सरकार के शहरी विकास विभाग के तहत आता है, जिसे खुद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस संभाल रहे थे। कैग के अनुसार, सिडको ने नवी मुंबई मेट्रो रेल प्रोजेक्ट का काम समय पर पूरा न करने वाले 22 कॉन्ट्रैक्टर्स से टेंडर नियमों का उल्लंघन करने के एवज में बकाया 185 करोड़ रुपए का जुर्माना भी नहीं वसूला। कैग की रिपोर्ट कहती है कि 50 करोड़ रुपए और उससे अधिक लागत वाले 16 टेंडर्स के विज्ञापन राष्ट्रीय स्तर के अग्रणीय अखबारों में और एमएमआर व एनएमआईए जैसे प्रोजेक्ट के वैश्विक टेंडर्स के विज्ञापन अंतर्राष्ट्रीय पब्लिकेशंस में प्रकाशित नहीं किए गए, जो कि इस प्रकार के टेंडर्स के लिए बनाए गए दिशा-निर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन है। कैग की रिपोर्ट आगे कहती है कि तीन कॉन्ट्रैक्ट, जिनकी कुल लागत 1,581.1 करोड़ रुपए है। ऐसे प्रोजेक्ट के ठेके बिना उचित प्रतिस्पर्धा के आवंटित कर दिए गए। प्रस्तावित एयरपोर्ट की पैकेज और डेवलपमेंट कार्य का ठेका मैसर्स जीपीएल को 699.44 करोड़ रुपए में दिया गया, जो कि प्रस्तावित कीमत से 18 फीसदी ज्यादा है। वहीं, मैसर्स एसजे-जीवीके को दूसरा ठेका प्रस्तावित कीमत से 28.50 फीसदी ज्यादा की कीमत पर 804.91 करोड़ रुपए में दिया गया।
कैग अपनी ऑडिट रिपोर्ट में कहता है कि एनएमएमआर के ऐसे छ: मामले हैं, जिनकी प्रस्तावित लागत 890.42 करोड़ रुपए है, ऐसे ठेकेदारों को दे दिए गए, जो नियामक के मानकों पर खरे नहीं उतरते। कैग की रिपोर्ट उस एनएमएमआर प्रोजेक्ट में हुई देरी को भी हाईलाइट करती है, जो प्रोजेक्ट दिसंबर, 2013 तक पूर्ण हो जाना चाहिए था। रिपोर्ट के अनुसार, एमएमआर प्रोजेक्ट में देरी इसलिए भी हुई थी, क्योंकि स्टेशन कंप्लीट करने का कार्य ऐसे ठेकेदारों को दे दिया गया था जिनकी वित्तीय स्थिति कमजोर थी। रिपोर्ट में ऐसे 10 मामलों का जिक्र भी है, जिन्हें ऐसे ठेकेदारों को दे दिया गया जिनके पास पहले से ही 429.89 करोड़ का ठेका था और उन्हें फिर से बिना किसी टेंडर्स मंगवाए 69.38 करोड़ रुपए का ठेका दे दिया गया, जो कि दिशा-निर्देशों का सीधा-सीधा उल्लंघन है।
महाराष्ट्र विधानसभा में कैग की रिपोर्ट को पेश करते हुए उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने पिछली सरकार के कुछ इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर सवाल उठाए। इसके मुताबिक शहरी और औद्योगिक विकास प्राधिकरण (सिडको) के करीब 2000 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स में गड़बड़ी पाई गई। अजित पवार ने आरोप लगाया कि नवी मुंबई में बनने वाले इंटरनेशनल एयरपोर्ट, नेरुल-उरण रेलवे लाइन और नवी मुंबई रेल प्रोजेक्ट में कुछ कथित गड़बड़ियां पाई गईं। सिडको महाराष्ट्र सरकार के शहरी विकास विभाग के अंतर्गत आता है, जिसे खुद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस संभाल रहे थे। कैग के मुताबिक, सिडको ने नवी मुंबई मेट्रो रेल प्रोजेक्ट का काम समय पर पूरा न करने वाले 22 कॉन्ट्रैक्टर्स से टेंडर नियमों का उल्लंघन करने के लिए बकाया 185 करोड़ रुपए का जुर्माना भी नहीं वसूला। विधानसभा में अब विपक्ष के नेता की भूमिका निभा रहे देवेंद्र फडणवीस ने कैग की रिपोर्ट में लगे आरोपों को गलत बताया। उन्होंने कहा कि नवी मुंबई मेट्रो रेल और नेरुल-उरण रेलवे लाइन से जुड़े सभी टेंडर्स पर फैसला 2014 में हमारी सरकार आने से पहले ही लिया जा चुका था। शहरी और औद्योगिक विकास प्राधिकरण खुद एक स्वायत्त संस्था है और इसके द्वारा लिया गया कोई भी फैसला मुख्यमंत्री तक नहीं आता।
ठेकेदारों से नहीं वसूला नुकसान का हर्जाना
एनएमएमआर प्रोजेक्ट में 25.33 करोड़ रुपए की अतिरिक्त पेमेंट्स और रिकवरी को भी सवालों के घेरे में खड़ा करती है। 4,759.94 करोड़ रुपए के 22 कॉन्ट्रैक्ट का जिक्र भी रिपोर्ट में है, जहां पर प्रोजेक्ट में हुई देरी को लेकर सिडको ने ठेकेदारों से नुकसान की भरपाई के एवज में 185.97 करोड़ रुपए नहीं वसूले। हालांकि, विधानसभा में अब नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा रहे देवेंद्र फडणवीस कैग की रिपोर्ट में लगे आरोपों को गलत बताते हैं। सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अपनी सफाई में कहते हैं कि नवी मुंबई मेट्रो रेल और नेरुल-उरण रेलवे लाइन से जुड़े सभी टेंडर्स पर फैसला 2014 में हमारी सरकार आने से पहले ही लिया जा चुका था। सिडको खुद एक स्वायत्त संस्था है और इसका कोई भी फैसला मुख्यमंत्री तक नहीं आता। कैग की यह रिपोर्ट विधानसभा में पेश करने वाले अजित पवार खुद भी इससे पहले सिंचाई घोटाले से जुड़े एक मामले में आरोपी थे। हालांकि, महाराष्ट्र में पिछले साल हुए राजनीतिक उठापटक में वे भाजपा में शामिल हो गए थे। इसके कुछ ही देर बाद भ्रष्टाचार निरोधी ब्यूरो (एसीबी) ने सिंचाई घोटाले से जुड़े 9 केस बंद कर दिए थे। एसीबी ने कहा था कि जो 9 केस बंद किए गए हैं, उनका वास्ता अजित पवार से नहीं है। शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की गठबंधन सरकार बनने के बाद अजित पवार को विदर्भ सिंचाई घोटाले के मामले में क्लीन चिट मिल गई थी।
- बिन्दु माथुर